Monday - 28 October 2024 - 9:39 AM

यदि आप तेज चलते हैं तो यह खबर आपके लिए है

जुबिली न्यूज डेस्क

आप जितना तेज  चलेंगे, उतना अधिक जिएंगे, यह बात हम नहीं कह रहे हैं। यह बात वैज्ञानिकों ने कही है।

एक नये अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ये खुलासा किया है। हालांकि इंसानों के जीने और अधिक जीने के बारे में गूढ़ जानकारियां बहुत ही कम मिल पाई हैं, लेकिन वैज्ञानिक इस बात के विभिन्न पहलुओं पर रिसर्च कर रहे हैं कौन अधिक जीता है।

वैज्ञानिक यह भी रिसर्च कर रहे हैं कि कौन अधिक जीता है और ऐसा क्यों होता है कि कोई व्यक्ति 105 साल तक एकदम स्वस्थ रहता है और वहीं किसी की मौत 60 साल में ही हो जाती है।

नई स्टडी में पता चला है कि रोजमर्रा के कामों के दौरान जो लोग तेज-तेज कदमों से चलते हैं, उनके लंबा जीने की संभावना अधिक होती है।

यह अध्ययन ब्रिटेन की लीसेस्टर विश्वविद्यालय के डायबिटीज रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने किया है। शोध में कहा गया है कि आमतौर पर कामों के दौरान जो लोग तेजी से कदम रखते हैं उनके अधिक जीने की संभावना बढ़ जाती है, फिर चाहे उनकी कुल शारीरिक गतिविधियां सामान्य ही क्यों ना हों।

आखिर कैसे मदद करती है तेज चाल

शोधकर्ताओं का कहना है कि जो इंसान तेज चलता है उसके क्रोमोसोम की सिरे लंबे होते हैं। दरअसल ये सिरे या अंतखंड उम्र बढऩे की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब कोशिकाओं का विभाजन होता है तो ये अंतखंड ही क्रोमोसोम की हिफाजत करते हैं। यह कुछ जूते के फीते के सिरों परल लगे प्लास्टिक के कवर जैसा होता है जो फीते को खुलकर बिखरने नहीं देता।

दरअसल हमारी कोशिकाएं हर समय विभाजित होती रहती हैं। जितना अधिक उनका विभाजन होता है, उतना ही अंतखंड छोटे होते जाते हैं।

जब ये अंतखंड पूरी तरह खत्म हो जाता है तो कोशिकाओं का विभाजन भी रुक जाता है और वे मर जाती हैं। और जब कोशिकाएं मर जाती हैं तो उत्तकों का क्षरण शुरू हो जाता है। इसलिए अंतखंडों की लंबाई अहम है क्योंकि जितना अधिक वे कोशिका-विभाजन को झेल पाते हैं, उतनी अधिक देर तक कोशिकाएं अपना काम करती रहती हैं।

यह भी पढ़ें :  PK ने बताया क्यों नहीं जॉइन की कांग्रेस

यह भी पढ़ें :  UP की बड़ी छलांग, अब तक 5600 स्टार्टअप हुए पंजीकृत

यह भी पढ़ें :  CM योगी का फरमान-बतानी होगी सिर्फ अपनी नहीं, पत्नी-बेटे-बेटी-बहू की भी संपत्ति

कैसे हुई स्टडी?

शोधकर्ताओं की यह स्टडी पिछले सप्ताह ही कम्युनिकेशंस बायोलॉजी नामक पत्रिका में छपी । इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 4 लाख 5 हजार यूके बायोबैंक हिस्सेदारों से उनके चलने की आदतों के बारे में बात की।

शोधकर्ताओं  ने समझना चाहा कि चाल की तेजी का अंतखंडों की लंबाई से क्या संबंध है।

सर्वें में शामिल लोगों में से आधे ऐसे थे जिनकी चाल औसत थी। 40 फीसदी ने कहा कि वे तेज चलते हैं और 6 फीसदी ने धीमी चाल की बात कही।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि जिन लोगों ने तेज चाल की बात कही थी, उनके अंतखंड धीमी चाल वाले लोगों से अधिक लंबे थे।

यह भी पढ़ें :  नवनीत राणा के आरोपों पर मुंबई पुलिस आयुक्त ने जारी किया ये वीडियो

यह भी पढ़ें :  खेलेगा UP, तभी तो बढ़ेगा UP ! क्या है सरकार का ये प्लॉन?

यह भी पढ़ें :  अब 6-12 साल के बच्चों को भी लगेगी कोरोना वैक्सीन

वहीं जब 86 हजार लोगों के एक अन्य नमूने की स्टडी की गई तब भी यही नतीजा हासिल हुआ। इन लोगों की चालकों एक डिवाइस की मदद से आंका गया था और तब पता चला कि जितनी अधिक तेज रफ्तार थी, उतनी ही अधिक अंतखंडों की लंबाई थी।

सेहत का संकेत

शोधकर्ता और लीसेस्टर यूनिवर्सिटी के साइंसटिस्ट थॉमस येट्स कहते हैं कि उनके दल ने दौडऩे या संतुलिन खाने आदि के बजाय

अंतखंडों की लंबाई पर ही ध्यान दिया क्योंकि एक अन्य स्टडी में उन्हें पता चला था कि अधिक तेज चलने वाले लोग अधिक स्वस्थ होते हैं।

अन्य स्टडी में इस टीम ने पाया था कि जो तेज चलने वाले लोग स्वास्थ्य का अधिक ध्यान नहीं रखते हैं वे उनके मरने की संभावना उन धीमा चलने वाले लोगों से कम होती है जो स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। इसमें एकमात्र अपवाद धूम्रपान करने वालों का था।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com