न्यूज डेस्क
भारत में मंदी का असर सबसे ज्यादा दिख रहा है, इस बात की पुष्टि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)ने भी कर दी है। आईएमएफ के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी से गुजर रही है जिसके कारण इस साल दुनिया के 90 प्रतिशत देशों में वृद्धि दर कम होगी। संस्था के मुताबिक भारत जैसी उभरती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर इस मंदी का असर कुछ अधिक है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा है कि देशों के बीच व्यापार विवाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं। साल 2019 में दुनिया की 90 फीसदी अर्थव्यवस्था के मंदी के चपेट में आने की आशंका है। भारत में इसका सबसे ज्यादा असर दिखेगा। जॉर्जिवा ने भारत में इस साल गिरावट और ज्यादा रहने की चेतावनी दी है।
विश्व बैंक और आईएमएफ की सालाना बैठक से पहले आठ अक्टूबर को क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि मंदी की व्यापकता के कारण इस साल आर्थिक वृद्धि दर दशक के निचले स्तर पर आ जाएगी। अगले सप्ताह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य जारी होगा और उसमें पूर्वानुमान में कटौती की जाएगी।
जॉर्जिवा ने कहा कि करीब 40 उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर पांच प्रतिशत से अधिक रहेगी। उनका यह भी कहना था कि अमेरिका और जर्मनी में बेरोजगारी की दर ऐतिहासिक निचले स्तर पर है, हालांकि इसके बाद भी अमेरिका और जापान और यूरोप की विकसित अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक गतिविधियों में मंदी देखने को मिल रही है।
क्रिस्टलीना ने कहा कि भारत और ब्राजील जैसी बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का असर अधिक ही देखने को मिल रहा है। उनके मुताबिक चीन की आर्थिक वृद्धि दर भी धीरे-धीरे गिर रही है।
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मालूम हो कि यह आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर जॉर्जिवा का पहला संबोधन था। आगामी सप्ताह में आईएमएफ और विश्व बैंक की सालाना बैठकें शुरू हो जाएंगी।
15 अक्टूबर को आईएमएफ चालू और अगले वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान के आधिकारिक संशोधित आंकड़े जारी करेगा। इससे पहले आईएमएफ ने साल 2019 में वृद्धि दर 3.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। साल 2020 के लिए 3.5 फीसदी का अनुमान जताया गया था। जॉर्जिवा ने कहा है कि आईएमएफ चालू और आगामी वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को घटा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को घटाया था। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास दर सात रहने की उम्मीद जताई है। इसमें 0.30 फीसदी की कटौती की गई है।
इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा था कि कॉर्पोरेट और रेग्युलेटरी अनिश्चितताओं और कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमजोरी के कारण भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान से अधिक कमजोर हुई।
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