जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के दौर में जिस तरह से तमाम लोगों ने आपदा में अवसर तलाश लिए हैं उनकी शक्लें देखी जाएं तो कई ऐसे लोग मिलेंगे जिनके कन्धों पर काफी प्रभावशाली लोगों का हाथ है. मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन को 14 हज़ार रुपये में ब्लैक करने वाले एक व्यक्ति को पुलिस ने दबोचा तो वह राज्य सरकार के मंत्री की पत्नी का ड्राइवर निकला. मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट इंदौर में कोरोना महामारी की रोकथाम के प्रभारी मंत्री हैं.
मंत्री की पत्नी का ड्राइवर पुनीत अग्रवाल 14 हज़ार रुपये में किसी को इंजेक्शन सप्लाई करने गया और वहां पर पहले से जाल बिछाए बैठी पुलिस ने उसे पकड़ लिया. पकड़े जाने के बाद उसे हथकड़ी लगा दी गई और पूछताछ के समय बनाए गए वीडियो से यह जानकारी मिली कि वह मंत्री तुलसीराम सिलावट की पत्नी की गाड़ी चलाता है.
पुनीत अग्रवाल ने बताया कि उसे निजी ट्रैवेल एजेंसी का ड्राइवर गोविन्द राजपूत इंजेक्शन उपलब्ध कराता है और वह उन्हें 14-14 हज़ार रुपये में बेचता है. उसने बताया कि वह तमाम लोगों को इंजेक्शन सप्लाई कर चुका है. उसने बताया कि एक पुलिस कर्मी को दो इंजेक्शन चाहिए थे, वह उन्हीं को सप्लाई देने जा रहा है.
पूछताछ का वीडियो वायरल हुआ तो मंत्री ने कहा कि उनकी पत्नी की कार को निजी ट्रेवल एजेंसी का ड्राइवर चलाता है. उसके किसी भी अवैध काम से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. मंत्री ने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी से मेरे परिवार का कोई लेना देना नहीं है. पुलिस ने ड्राइवर को पकड़ लिया है. उसकी निष्पक्ष जांच कर ले.
इस मामले में कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने कहा है कि मैं मंत्री के परिवार पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का आरोप पहले ही लगा चुका हूँ. ड्राइवर के पकड़े जाने के बाद यह बात साबित भी हो गई है. ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट को फ़ौरन अपने मंत्रीमंडल से हटा देना चाहिए.
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मज़े की बात यह है कि इंजेक्शन की कालाबाजारी में पकड़ा गया ड्राइवर पुनीत अग्रवाल तुलसीराम सिलावट की पत्नी की कार से पहले जिला स्वास्थ्य अधिकारी की कार चलाता था. ड्राइवर के इस काम से मंत्री और जिला स्वास्थ्य अधिकारी दोनों ने ही अपना पल्ला झाड लिया है. पुलिस ने भी उस दूसरे ड्राइवर से पूछताछ की ज़रूरत नहीं समझी है. जिसका नाम पुनीत ने लिया था.