जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. पाकिस्तान सरकार के सामने सिंध प्रान्त ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. सिंध प्रांत ने अपनी सभ्यता और संस्कृति के आधार पर अलग सिन्धु देश की मांग कर दी है. सिन्धु देश की मांग करने वालों ने अपने पोस्टरों पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा बंगलादेश सहित कुछ अन्य देशों के बड़े नेताओं की तस्वीरें लगाकर उनसे समर्थन की उम्मीद की है.
सिंध प्रांत ने सिंध वांट्स फ्रीडम नाम से अपना आन्दोलन शुरू कर दिया है. सिन्धु देश की आज़ादी के लिए सिंध प्रांत में रैली भी निकाली गई. यह रैली जीएम सईद की 117वीं जयन्ती पर निकाली गई. जीएम सईद को आधुनिक सिंधी राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है.
सिन्धु देश की मांग करने वालों का कहना है कि सिन्धु घाटी वैदिक सभ्यता का घर है. ब्रिटिश साम्राज्य के कब्ज़े से यह 1947 में छूटा तो ब्रिटिशर्स ने इसे पाकिस्तान के मुसलमानों के हाथों में सौंप दिया. सिन्ध पर लगातार हो रहे हमलों के बावजूद यहाँ के लोगों ने अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति और अपनी एतिहासिकता को संजो कर रखा है.
सिंध प्रांत के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार हमारी ज़मीन को चीन के हाथ बेचने की साज़िश रच रहा है. सिंध के समुद्री इलाके चीन को मछली पकड़ने के लिए दे दिए हैं.
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1971 में बंगलादेश बनने के फ़ौरन बाद से सिन्धु देश बनाने की मांग शुरू हुई थी और तब से सिन्धु देश की आज़ादी का आन्दोलन शुरू हो गया था. बंगलादेश बनने के बाद सिन्धु देश की मांग जीएम सईद ने सबसे पहले उठाई थी. उन्होंने सिंध के राष्ट्रवाद को एक नई दिशा दी. सिन्धु देश बनाने की पुरजोर वकालत करने वाले सिंध के नेता शफी मोहम्मद बुरफात का कहना है विदेशी और देशी लोगों की भाषाओं ने हमें प्रभावित किया है. पूर्व और पश्चिम के धर्मों, दर्शन और सभ्यता के इस एतिहासिक मेल ने हमारी मातृभूमि को मानवता के इतिहास में अलग स्थान दिया है.