जुबिली न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर क्रिकेट असोसिएशन (JKCA) ने ऑलराउंडर क्रिकेटर परवेज रसूल को एक नोटिस भेजा था, जिसमें कहा था कि पिच रोलर वापस करने या फिर पुलिस कार्रवाई का सामना करने की बात कही गई है।
अब क्रिकेटर परवेज रसूल ने नोटिस भेजने के पीछे की पूरी कहानी बताई है। उन्होंने खुद को पीडि़त बताते हुए यह इच्छा भी जताई कि चीजें हाथ से निकलने से पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को हस्तक्षेप करे।
परवेज रसूल ने नोटिस मिलने की कहानी को लेकर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि पिच रोलर टेनिस बॉल की तरह नहीं है जिसे मैं अपनी जेब में रख सकता हूं और जहां चाहूं घूम सकता हूं। यह जमीन के इस्तेमाल के लिए है। यह क्रिकेट के विकास के लिए है। मैं वास्तव में नहीं जानता कि ये चीजें यहां क्यों हो रही हैं। मुझे एक ‘दूसरा नोटिस’ मिला जिसमें कहा गया था कि हमने आपको 5 जुलाई को नोटिस भेजा था।
वहीं भारतीय क्रिकेट बोर्ड द्वारा नियुक्त JKCA तीन सदस्यीय उप-समिति में शामिल बीजेपी प्रवक्ता ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) अनिल गुप्ता का कहना है कि रसूल को ईमेल के जरिए नोटिस भेजा गया था क्योंकि क्रिकेटर के कॉन्टैक्ट डिटेल्स जिला क्रिकेट यूनिट ने दिए थे।
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इस पर परवेज रसूल ने कहा कि मुझे शुरुआती नोटिस कभी नहीं मिला। उन्होंने नोटिस के पीछे की मंशा पर भी सवाल उठाया। रसूल ने कहा कि यह उनकी (जेकेसीए) रिकॉर्ड बुक में है। अगर यह रिकॉर्ड बुक में है तो मुझे पहला नोटिस क्यों नहीं भेजा गया, इसके बजाय मुझे दूसरा नोटिस भेजा गया।
परवेज रसूल ने कहा कि इसका मतलब है कि यह पक्षपात से जुड़ा था। उसके साथ एक रसीद होनी चाहिए? अगर आपको लगता है कि कोई इसका सही इस्तेमाल नहीं कर रहा है, तो आप उन्हें लिखें, न कि ऐसे क्रिकेटर को जिसका इससे कोई लेना-देना नहीं है। मुझे समझ में नहीं आता कि उन्होंने मुझे ई-मेल क्यों भेजा गया। खासकर जब मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है। इसके लिए जिला पदाधिकारियों को लिखें।
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32 वर्षीय ऑलराउंडर रसूल ने कहा कि वह तब और परेशान हो गए जब एक पदाधिकारी ने सोशल साइट पर लिखा कि रसूल को एक लंबी रस्सी देने की जरूरत है ताकि वह फांसी लगा सकें।
परवेज के मुताबिक, पदाधिकारी ने बाद में अपनी पोस्ट हटा ली। उन्होंने कहा कि, लेकिन मेरे पास उनके कमेंट का स्क्रीनशॉट है। क्या कोई मुझे बता सकता है कि मैंने क्या गलत किया है कि मुझे फांसी की जरूरत है?
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उन्होंने कहा कि, यदि आपको कोई संदेह है, तो उनके पास मेरा फोन नंबर है, वे मुझे कॉल कर सकते हैं। इसे स्पष्ट करने में केवल कुछ सेकंड लगेंगे, लेकिन ऐसा लगता है कि वे मुझे प्रताडि़त करना चाहते थे।
मालूम हो कि जम्मू एंड कश्मीर उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि बीसीसीआई को जेकेसीए क्रिकेट चलाना चाहिए। इसके बाद जून में जेकेसीए प्रशासकों की समिति अस्तित्व में आई। एक महीने बाद बीसीसीआई ने दो भाजपा के दो प्रवक्ता अनिल गुप्ता और अधिवक्ता सुनील सेठी को क्रिकेटर मिथुन मन्हास के साथ पैनल में नियुक्त किया गया। इसके अलावा श्रीनगर में क्रिकेट के विकास को देखने और उप-समिति को रिपोर्ट करने के लिए माजिद डार को नियुक्त किया गया था।