जुबिली न्यूज डेस्क
लंबे समय से विपक्ष्स आरोप लगाता रहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के हाथों की पोलिटिकल टूल बन गया है।
सीबीआई को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने एक बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो केवल संसद को रिपोर्ट करने वाली एजेंसी होनी चाहिए।
अदालत का कहना है कि सीबीआई को सीएजी की तरह होना चाहिए जो केवल संसद के प्रति जवाबदेह है। मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने की बात करते हुए 12 प्वाइंट्स के निर्देश में अदालत ने कहा, ”यह आदेश ‘पिंजड़े में बंद तोते (सीबीआई)’ को रिहा करने का प्रयास है ताकि सीबीआई को चुनाव आयोग जैसी स्वायत्तता मिल सके।
कांग्रेस काल में भाजपा ने लगाए थे ये आरोप
मालूम हो कि साल 2013 में कोलफील्ड आवंटन मामलों की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई पर टिप्पणी की थी और उसे “पिंजरे के तोते” के रूप में बताया था।
उस समय विपक्ष में रहने वाली बीजेपी ने एजेंसी पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नियंत्रित होने का आरोप लगाया था।
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‘CBI पर भाजपा सरकार का कंट्रोल’
इधर के बीते कुछ सालों में सीबीआई ने विपक्ष के काफी नेताओं के विरुद्ध मामला दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई है, जिसे लेकर भी उस पर बीजेपी सरकार के नियंत्रण का आरोप लगता रहता है।
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मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा की एजेंसी की स्वायत्तता तभी सुनिश्चित होगी, जब उसे वैधानिक दर्जा दिया जाएगा। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि भारत सरकार को सीबीआई को ज्यादा अधिकार और शक्तियां देने के लिए एक अलग अधिनियम बनाने के लिए विचार करके निर्णय का निर्देश दिया जाता है, ताकि सीबीआई केंद्र के प्रशासनिक नियंत्रण के बिना कार्यात्मक स्वायत्तता के साथ अपना कार्य कर सके।
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