जुबिली न्यूज डेस्क
मद्रास उच्च न्यायालय ने देश में जाति-व्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने कहा है कि देश में लगातार बढ़ रहे आरक्षण के ट्रेंड से जाति व्यवस्था खत्म होने की बजाय स्थायी होती जा रही है। अब इसका अंत नहीं दिखता है।
मद्रास हाई कोर्ट ने यह बातें बुधवार को ऑल इंडिया कोटा कैटिगरी में मेडिकल सीटों में आरक्षण के मामले की सुनवाई के दौरान कही।
कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘जाति व्यवस्था को खत्म करने की बजाय मौजूदा ट्रेंड इसे और स्थायी बना रहा है। आरक्षण की व्यवस्था को अंतहीन समय के लिए बढ़ाए जाने से ऐसा हो रहा है, जबकि यह कुछ समय के लिए ही था ताकि गणतंत्र में असमानता को दूर किया जा सके। यह सही है कि किसी देश की आयु को मनुष्यों की उम्र से नहीं जोड़ा जा सकता, लेकिन 70 साल के समय में कम से कम परिपक्वता तो आ ही जानी चाहिए।’
कोर्ट ने एमबीबीएस में दाखिले के लिए 10 फीसदी EWS कोटे को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस 10 फीसदी के आरक्षण के चलते कोटे की 50 प्रतिशत की सीमा खत्म हो जाएगी, जो गलत है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि आरक्षण का पूरा कॉन्सेप्ट ही गलत है।
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अदालत ने कहा, ‘इसमें लगातार संशोधन हो रहा है और इजाफा हो रहा है। इसके चलते लगातार जाति व्यवस्था भी मजबूत हो रही है। यही नहीं यह उन जगहों पर भी मजबूत हो रही है, जहां उसकी मौजूदगी कम थी।’
मद्रास उच्च न्यायालय की बेंच ने कहा कि नागरिकों को सशक्त करने की बजाय आरक्षण के चलते जातिवाद में इजाफा हो रहा है। ऐसी स्थितियां नहीं पैदा हो रही हैं कि मेरिट से किसी भी चीज का निर्धारण हो सके।