न्यूज़ डेस्क
अजमेर। अजमेर सेंट्रल जेल में चल रहे वसूली के गोरखधंधे का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने भण्डाफोड़ कर दिया। एसीबी की टीम ने चार जेलकर्मी सहित 3 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। उक्त गिरोह हर माह 20 से 25 लाख की उगाही कर रहा था। जेल में गुटखा 600 रुपये में तो बीड़ी का बण्डल 1500 रुपये में बंदियों को उपलब्ध हो रहा था।
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परिवारजन से मिलाने, मोबाइल उपलब्ध कराने आदि के लिए तो अलग तरह की वसूली थी। जानकारी के अनुसार इस बड़ी कार्रवाई को एसीबी के आईजी दिनेश एम एन के निर्देशन में अंजाम दिया गया।
एसीबी के एसपी डॉ. राजीव पचार ने बताया कि काफी समय से सूचना मिल रही थी कि जेल में वसूली का खुला खेल चल रहा है। इस पर टीमें बनाकर जांच करवाई गई।
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संभाग की सात व जयपुर की एक टीम ने अलग- अलग जगह दबिश देकर 7 लोगों को गिरफ्तार किया है इनमें से 4 जेल के ही स्टॉफ हैं। जबकि सरवाड़ निवासी शैतान सिंह जेल में बंद था और आज ही पैरोल पर छूटने वाला था वहीं लौंगिया निवासी दीपक उर्फ सनी पैरोल पर बाहर आया हुआ था, आज ही यह जेल वापस जाना था वहीं सनी के भाई सागर को भी गिरफ्तार किया है।
डॉ. पचार ने कहा कि उक्त गिरोह माह में 20 से 25 लाख की कैदियों से वसूली करते थे। यह वसूली कैदियों को सुविधाएं देने के नाम पर की जाती थी। सुविधाओं में कैदी को घर का खाना, बीड़ी, सिगरेट, गुटखा या अन्य प्रतिबंधित नशा, मोबाईल सहित अन्य थी।
इसके अलावा घरवालों से मिलवाने के लिए भी बड़ी रकम वसूली जाती थी। डॉ. पचार ने कहा कि अब तक केवल जेल के इन्हीं स्टॉफ व कैदियों के नाम सामने आए हैं। इसके अलावा कौन- कौन शामिल है इसकी भी जांच की जा रही है।
15 दिन पहले ही बदला जेल अधीक्षक
उन्होंने यह भी कहा कि जेल अधीक्षक के पद पर 15 दिन पहले ही एएसपी नरेन्द्र चौधरी को नियुक्त किया गया था। जिन्होंने जेल स्टॉफ केसाराम व संजय सिंह को शिकायत के आधार पर जेल से अन्यत्र शिफ्ट कर दिया था।
इस कार्रवाई में गत ढ़ाई माह तक के फोन, कॉल्स आदि रिकॉर्ड किए गए हैं और जेल से 6 मोबाइल, बैंक अकाउंट की डिटेल, हिसाब किताब व अन्य जब्त किया है। पकड़े गए अन्य जेल स्टॉफ में प्रधान बाना और अरुण सिंह चौहान हैं। सभी को गिरफ्तार करके पूछताछ की जा रही है।
गुटखा- बीड़ी का रेट पता चलेगा तो हो जायेंगे हैरान
जेल में जो वस्तु उपलब्ध करवाई जाती थी उसकी यदि कीमत आप सुनेंगे तो दांतों तले अंगुली चबा लेंगे। एक गुटखे की कीमत जेल में 600 रुपये, बीड़ी के बण्डल की कीमत 1500 रुपये तक वसूली जाती थी। यह गिरोह रुपये लेकर हर वस्तु जेल में उपलब्ध करवा देता था।
मोबाईल भी जेल में भिजवाना इनके लिए मामूली बात थी। यह दोनों ही 2015 से लंगर इंचार्ज हैं। ऐसे में मेस के सामान के साथ प्रतिबंधित वस्तुएं मंगवाकर मनमाना शुल्क वसूलते थे। जेल स्टॉफ की मिलीभगती के कारण इनका यह गौरखधंधा फल फूल रहा था।
कई बार जेल प्रशासन को भी कैदी शिकायतें करते थे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती। यहां तक कि कुछ कैदियों के परिजनों ने तो सिविल लाईन थाने तक में वसूली की रिपोर्ट दी थी लेकिन आज तक उनमें कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।