- तालाबंदी और उड़ानों के बंद होने से पर्यटन उद्योग को करीब 1.25 खरब रुपये के नुकसान का अनुमान
- अप्रैल से जून तक के तीन महीनों के दौरान ही भारतीय पर्यटन उद्योग को 69,400 करोड़ रुपये के नुकसान का अंदेशा
- कोरोना के बाद पर्यटन उद्योग की बदल जायेगी तस्वीर
जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी और तालाबंदी ने देश को कितना नुकसान पहुंचाया है इसका सही आंकलन अभी कर पाना मुश्किल हैं। सरकार द्वारा तालाबंदी के प्रतिबंधों में ढ़ील देने के बाद अब तमाम एहतियात के साथ सभी उद्योग धंधे लडख़ड़ाते हुए अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इनकी राह आसान नहीं दिख रही।
कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य और टेलीकॉम से जुड़े क्षेत्रों को छोड़कर लगभग सभी को प्रभावित किया है। कोरोना की मार से पर्यटन उद्योग भी बेहाल है। तीन माह से ठप पड़ा भारत का पर्यटन उद्योग कोरोना महामारी के बीच अब अपने पैरों पर खड़ा होनेे का प्रयास कर रहा है। नई सावधानियों और इंतजाम से लैस होकर यह पहले से काफी अलग नजर आ रहा है।
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भारत के पर्यटन उद्योग को कितना नुकसान हुआ है, इन आंकड़ों से समझा जा सकता है। केयर रेटिंग्स की एक रिपार्ट में अनुमान जताया गया है कि कोरोना काल में इस उद्योग को तालाबंदी और उड़ानों के बंद होने की वजह से वर्ष 2020 में लगभग 1.25 खरब रुपये के नुकसान हो सकता है। अब इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिनकी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है वह कैसे सर्ववाइव करेंगे।
कोरोना महामारी और तालाबंदी की वजह से भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान हुआ है। दुनिया की तमाम बड़ी ट्रैवल कंपनियों के संगठन वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल ने अंदेशा जताया है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के वजह से इस उद्योग में दुनिया भर में साढ़े सात करोड़ नौकरियां खत्म होंगी और 2.10 खरब डॉलर का नुकसान होगा, जिसमें अकेले भारत में इसकी वजह से 1.25 खरब रुपये के नुकसान का अनुमान है।
केयर रेटिंग्स की ताजा अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बीते साल के मुकाबले राजस्व में 40 फीसदी गिरावट का अंदेशा है। अकेले अप्रैल से जून तक के तीन महीनों के दौरान ही भारतीय पर्यटन उद्योग को 69,400 करोड़ रुपये के नुकसान का अंदेशा है।
हालांकि अब घरेलू उड़ानें शुरू होने के बाद पर्यटन उद्योग में उम्मीद की किरण पैदा हुई है और इसके धीरे-धीरे पटरी पर लौटने की संभावना जताई जा रही है।
ऐसा ही कुछ पश्चिम बंगाल में भी दिख रहा है। पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से सटे सुंदरबन इलाके की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर है। तालाबंदी और अंफान तूफान ने इस उद्योग की कमर तोड़ दी है। हालात देखते हुए ममता बनर्जी सरकार ने इस इलाके से बड़े पैमाने पर विस्थापन रोकने और अर्थव्यवस्था को बदहाली से बचाने के लिए बीते 15 जून से इस इलाके में पर्यटन गतिविधियों को दोबारा शुरू करने की इजाजत दे दी है।
इसके अलावा राज्य के अकेले समुद्रतटीय शहर दीघा और पहाड़ों की रानी कही जाने वाली दार्जिलिंग में भी धीरे-धीरे ही सही, पर्यटन गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं, लेकिन कोरोना के बढ़ते आंकड़ों की वजह से पर्यटक बहुत कम संख्या में आ रहे हैं।
पश्चिम बंगाल के अन्य राज्यों में भी इस उद्योग को रफ्तार देने के लिए तमाम एहतियात के साथ पर्यटन केंद्र खोले जा रहे हैं। घरेलू फ्लाइट शुरु होने के बाद से इस उद्योग में लगे लोगों को उम्मीद बधी है कि लोग धीरे-धीरे आयेंगे। पर यह इतना आसान नहीं दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़े।
जिस रफ्तार से भारत में कोरोना के मामले बढ़ रहे है उससे तो यही लग रहा है कि वह दिन दिन दूर नहीं जब भारत कोरोना संक्रमण के मामलें में अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा। ऐसे हालात में क्या उम्मीद की जा सकती है कि भारी तादात में लोग घरों से घूमने-फिरने के लिए निकलेंगे ?
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