जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के एडीशनल एसपी दीपक ठाकुर फरार हो गए हैं. कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है. उन्होंने हालांकि कोर्ट में अग्रिम जमानत की प्रार्थना की थी जिसे कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया. तीन पुलिसकर्मियों को जेल भेजे जाने के बाद दीपक ठाकुर ने फरार हो जाने में ही अपनी भलाई समझी.
दीपक ठाकुर स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो में एडीशनल एसपी हैं और भ्रष्टाचार के इल्जाम के बाद फरार हो गए हैं. दरअसल लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार के मामले में एडीशनल एसपी दीपक ठाकुर, कांस्टेबल इरशाद परवीन, इन्द्रपाल सिंह और सौरव भट्ट के खिलाफ राज्य के लोकायुक्त के सामने चार्जशीट पेश की थी.
लोकायुक्त ने एडीशनल एसपी और तीनों कांस्टेबल को अपनी कोर्ट में पेश होने को कहा. एडीशनल एसपी ने खुद को बीमार बताकर अदालत में आने से असमर्थता जताई और अपनी अग्रिम ज़मानत की प्रार्थना की. तीनों सिपाही कोर्ट में पेश हुए और तीनों ने अग्रिम ज़मानत की मांग की. लोकायुक्त कोर्ट ने ज़मानत याचिका खारिज करते हुए तीनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. कोर्ट ने एडीशनल एसपी दीपक ठाकुर के पेश न होने पर नाराजगी जताते हुए उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया. दीपक ठाकुर के वकील ने कोर्ट को बताया कि दीपक बीमार हैं इस वजह से पेश नहीं हो पाए. कोर्ट अब उनकी अग्रिम ज़मानत याचिका पर बुद्धवार को सुनवाई करेगी.
पूरा मामला यह है कि पुणे की रहने वाली गुलशन जौहर की बेटी ने जबलपुर के विक्रम राजपूत को ढाई लाख रुपये में एक कैमरा बेचा था. गुलशन की बेटी अमरीका की कैमरा बनाने वाली कम्पनी में नौकरी करती हैं. यह कैमरा उसी कम्पनी का था. कैमरे में शिकायत आयी तो विक्रम ने कम्पनी को शिकायत की. कम्पनी जब तक शिकायत पर कोई कदम उठाती उससे पहले ही विक्रम ने भोपाल के साइबर सेल में माँ-बेटी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी. साइबर सेल ने माँ-बेटी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
यह माँ-बेटी जेल से बाहर आने को छटपटा रही थीं कि इसी बीच डीएसपी दीपक ठाकुर और इन्हीं तीनों सिपाहियों ने कोर्ट में जल्दी चालान पेश करने के एवज़ में साढ़े तीन लाख रुपये की रिश्वत माँगी. जेल से छूटने के बाद गुलशन जौहर ने इस रिश्वत काण्ड की शिकायत की. डीएसपी साधना सिंह को इस मामले की जांच मिली. साधना सिंह ने जांच की तो जिस वक्त गुलशन जौहर के रिश्तेदार बैंक से साढ़े तीन लाख रुपये निकालने गए उस वक्त डोप सिपाहियों की लोकेशन बैंक के पास ही मिली. यह माना गया कि दीपक ठाकुर ने पद का दुरूपयोग करते हुए रिश्वत ली.
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यह रिश्वत काण्ड साल 2012 का है. लम्बी जांच प्रक्रिया के बाद 2015 में इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया. अब जब दीपक ठाकुर एडीशनल एसपी बन चुके हैं तब यह मामला लोकायुक्त की अदालत में सुना जा रहा है. खुद को सलाखों के पीछे जाता देखकर दीपक ठाकुर फरार हो गए हैं.