Saturday - 2 November 2024 - 8:10 PM

सुरंग से मजदूरों को निकालने की जंग जारी, मजदूरों को कुछ मोबाइल फोन भी भेजे गए

जुबिली न्यूज डेस्क 

उत्तरकाशी. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग हादसे के बाद बचाव अभियान फिलहाल रुका हुआ है. बचावकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अब सुरंग के अंदर सुरक्षा छतरी की तैयारी चल रही है. वहीं फंसे हुए मजदूरों को अपने परिवार के सदस्यों से बात करने में सक्षम बनाने के लिए बीएसएनएल ने मौके पर एक लैंडलाइन सुविधा स्थापित की है. वहीं सिल्कयारा सुरंग बचाव अभियान पर अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को निकालने में अब से एक महीने तक का कुछ भी समय लग सकता और सभी 41 लोग सुरक्षित घर वापस लौटेंगे.

अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि ‘मुझे बिल्कुल नहीं पता है कि वे कब वापस आएंगे. हमें जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. हम सबसे महत्वपूर्ण बात पर सोचना चाहिए और वह यह है कि सभी लोग सुरक्षित घर आएं. मुझे विश्वास है कि वे क्रिसमस के लिए समय पर घर आएंगे. शुरुआत में मैंने कभी वादा नहीं किया था कि यह जल्दी होगा, मैंने कभी नहीं किया वादा किया था कि यह आसान होगा, मैंने कभी नहीं कहा कि यह कल होगा, मैंने कभी नहीं कहा कि यह आज रात होगा…वे सुरक्षित रहेंगे.’ इसके साथ ही अधिकारी सुरंग में फंसे मजदूरों को समय बिताने के लिए कई तरह की खेलकूद गतिविधियों में शामिल होने के साथ मुहैया कराने की सोच रहे हैं.

मजदूरों को कुछ मोबाइल फोन भी भेजे गए

बचाव अभियान में शामिल एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को कुछ मोबाइल फोन भी भेजे गए हैं ताकि वे वीडियो गेम खेल सकें. सुरंग में आस-पास कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है लेकिन वाई-फाई कनेक्टिविटी प्रदान करने पर भी विचार हो रहा है. मजदूरों को क्रिकेट का बल्ला और गेंद उपलब्ध कराने पर भी विचार हो रहा है ताकि वे क्रिकेट खेल सकें. इससे मजदूर अपना समय खेलने में बिता सकते हैं क्योंकि सुरंग के अंदर बहुत जगह है जहां मजदूर फंसे हुए हैं. इसलिए क्रिकेट आसानी से खेला जा सकता है. इससे पहले मजदूरों को खेलने के ताश और लूडो भी भेजने की बात सामने आई थी.

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अब 2 विकल्पों पर विचार

दरअसल अब एजेंसियों के बचाव अभियान में अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया है. इनमें से पहला मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’ करना शामिल है. इसमें लंबा समय लग सकता है. हाथ से ‘ड्रिलिंग’ के तहत मजदूर बचाव मार्ग के अब तक खोदे गए 47-मीटर हिस्से में प्रवेश कर एक सीमित स्थान पर कम समय के लिए ‘ड्रिलिंग’ करेगा और उसके बाहर आने पर दूसरा इस काम में जुटेगा.

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