जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: सहमति से सेक्स की उम्र क्या होनी चाहिए? 18 या 16 साल? अदालतों से लेकर संसद तक इस बात पर बहस हो रही है. सवाल है कि क्या अब सहमति से सेक्स करने की उम्र घटा देनी चाहिए. हालांकि, संसद में ही सरकार साफ कर चुकी है कि उम्र नहीं घटाई जाएगी.
वहीं मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार से यौन सहमति की उम्र को मौजूदा 18 साल से घटाकर 16 साल करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि आपराधिक कानून अधिनियम के तहत उम्र बढ़ाई गई है, इसने ‘समाज के ताने-बाने को बिगाड़ दिया है’, जिसके परिणामस्वरूप ‘किशोर लड़कों के साथ अन्याय हो रहा है.’
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल एक 23 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिस पर कोचिंग के लिए उसके पास आई एक नाबालिग को जूस पिलाकर बेहोश करने के बाद बलात्कार करने का आरोप था.
युवक पर भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार समेत विभिन्न धाराओं, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. 27 जून को पारित अपने आदेश में अदालत ने निर्देश दिया कि एफआईआर को रद्द कर दिया जाए.
आकर्षण के चलते शारीरिक संबंध बनाते हैं
जस्टिस अग्रवाल ने कहा, ‘आम तौर पर किशोर उम्र के लड़के-लड़कियां दोस्ती करते हैं और उसके बाद आकर्षण के चलते शारीरिक संबंध बनाते हैं. बाद में समाज में लड़के के साथ अपराधी जैसा व्यवहार किया जाता है. आज अधिकांश आपराधिक मामले जिनमें अभियोजन पक्ष की उम्र 18 वर्ष से कम है, उपरोक्त विसंगति के कारण किशोर लड़कों के साथ अन्याय हो रहा है. इसलिए, मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह अभियोजन पक्ष की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष करने के मामले पर विचार करे, जो कि संशोधन से पहले थी, ताकि अन्याय का निवारण किया जा सके.’
अदालत ने आगे कहा कि सोशल मीडिया के संपर्क में आने के चलते किशोर ‘कम उम्र में ही यौवन प्राप्त कर रहे हैं’ और वयस्क होने से पहले सहमति से यौन संबंध बना रहे हैं.अदालत ने कहा, ‘आजकल सोशल मीडिया जागरूकता और आसानी से उपलब्ध इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण 14 वर्ष की आयु के करीब ही हर पुरुष या स्त्री कम उम्र में ही यौवन प्राप्त कर रहे हैं.
इन मामलों में पुरुष अपराधी नहीं
इसके चलते लड़के-लड़कियों में आकर्षण बढ़ रहा है और परिणामस्वरूप यही आकर्षण सहमति से शारीरिक संबंध बनाने के रूप में सामने आ रहा है. इन मामलों में पुरुष बिल्कुल भी अपराधी नहीं हैं. यह केवल उम्र की बात है, जब वे महिला के संपर्क में आते हैं और शारीरिक संबंध बन जाते हैं.
ये भी पढ़ें-इन तीन राज्य ने यूसीसी का जमकर किया विरोध, दी ये चेतावनी
इससे पहले, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि मामले में एफआईआर दर्ज करने में सात महीने की देरी हुई. बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया, ‘इसके अलावा यदि कोई यौन संबंध बनाया गया है तो वह लड़की की सहमति से था, इसमें कोई जबरदस्ती शामिल नहीं थी. सरकारी वकील ने याचिका को खारिज करने की प्रार्थना करते हुए तर्क दिया कि ‘सच है कि एफआईआर देर से दर्ज की गई है, लेकिन घटना के समय अभियोजक नाबालिग थी.