जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के रोहनिया थाने के करसड़ा के जिस मुसहर बस्ती में 42 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया था उसी पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया।
दरअसल प्रशासन ने अटल आवासीय विद्यालय के लिए करसड़ा में मुसहर बस्ती खाली कराने में बस्ती के कुछ घर गिरा दिया। बस्ती वालों का आरोप है कि उन्हें जमीन खाली करने के लिए कोई नोटिस प्रशासन द्वारा नहीं दिया गया।
घर गिराए जाने के बाद मुसहर बस्ती के लोग शुक्रवार की रात ही डीएम आवास घेरने पहुंच गए, लेकिन उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया।
इन लोगों काो शनिवार को अधिकारियों से मिलने का आश्वासन देकर वापस भेज दिया गया। वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि लोगों को पुनर्वास के तहत जमीन पट्टे पर दे दी गई है और जगह खाली करने के लिए 3 महीने पहले नोटिस भी दिया गया था।
बाढ़ प्रभावित इलाके में दी जा रही है जमीन
बस्ती के रहने वाले राजकुमार ने बताया कि शुक्रवार को दिन में उपजिलाधिकारी मीनाक्षी पांडे आईं और हमसे एक कागज पर दस्तखत करवाया। जब हमने अपने वकील से बात कर दस्तखत करने की बात कही तो हमसे जबरन दस्तखत करवाया गया। जमीन हमारी पुश्तैनी है।
राजकुमार ने कहा, जमीन की खतौनी अशोक, चमेली देवी और पिंटू के नाम पर है। वहीं दूसरी ओर करीब तेरह परिवारों ने इसी तरह के दावे किए और जबरन घर गिराए जाने के खिलाफ शिकायत करने जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा के आवास के लिए देर रात निकले।
रास्ते मे ही डीएम के आवास से पहले ही इन्हें रोक लिया गया और आश्वासन दिया गया कि सुबह अधिकारी मौके पर आएंगे। बस्ती के सभी लोगों ने करसड़ा वापस आकर खुले आसमान के नीचे रात गुजारी।
वहीं बुजुर्ग बुधयु कहते हैं कि वो पुश्तैनी जमीन पर वर्षो से काबिज हैं और जो जमीन दी जा रही है वो पास के नाले के बगल में है जो बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में है।
3 महीने पहले जमीन खाली करने का दिया गया था नोटिस
दीवाली के ठीक पहले इस तरह की कार्रवाई ने जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया। डीएम कौशल शर्मा ने बताया कि जमीन पहले बुनकर विभाग की थी जिसे लेबर डिपार्टमेंट को दे दी गई थी। इस जमीन पर अटल आवासीय विद्यालय बनना प्रस्तावित है।
डीएम ने कहा, ये जमीन ग्राम समाज की है और वहां रहने वाले लोगों ने वहां पर अवैध कब्जा कर रखा था। सीआईपीईटी और लेबर डिपार्टमेंट का अकादमिक भवन वहां बनना है जो वहां के स्थानीय बच्चों के लिए ही है।
बड़ा सवाल- अगर अवैध अतिक्रमण तो रिसेटेलमेंट क्यों?
जिला अधिकारी कौशल राज शर्मा से जब ग्रामीणों द्वारा दिखाए जाने वाले खतौनी के कागजों के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें नही पता कि वो कौन से कागज दिखा रहे हैं । वहीं दूसरी ओर जिला अधिकारी के शब्दों में अगर कब्जा अवैध था तो फिर कब्जा करने वालो को पट्टे पर जमीन कईं अलॉट की जा रही है?
फिलहाल ऐसे कई सवाल है जो प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हैं।