जुबिली न्यूज डेस्क
किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बुधवार को 10वें दौर की बातचीत होगी। पहले ये बैठक 19 जनवरी को होनी थी लेकिन सरकार ने इसे एक दिन के लिए टालकर 20 जनवरी कर दिया।
इस बैठक से पहले ही भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश सिंह टिकैत ने ये कहा है कि उन्हें इस बातचीत से कोई हल मिलने की उम्मीद कम है।
टिकैत ने सोमवार को कहा था कि “हमारी बात सरकार से होने वाली है, लेकिन इससे कोई निष्कर्ष निकलेगा इसकी हमें उम्मीद नहीं है।”
इससे पहले दोनों पक्षों के बीच 15 जनवरी को 9वें दौर की बातचीत बेनतीजा खत्म हुई थी। इस बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि उन्होंने किसानों से छोटे-छोटे अनौपचारिक समूह बना कर इस पर विचार करने और अपनी मांगों का एक मसौदा सरकार को सौंपने के लिए कहा था।
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बीते 50 से अधिक दिनों से तीन कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली को हरियाणा, पंजाब और यूपी से जोड़ने वाली सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों और सराकर के बीच नौ बार बैठक हो चुकी है और ये सभी बैठकें बेनतीजा रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक समिति के गठन का आदेश दिया है जो किसान संगठनों और सरकार से बातचीत कर एक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी।
वहीं कृषि कानूनों पर बातचीत करने के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की समिति के प्रमुख सदस्य अनिल घनवत ने कहा कि विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से कानून पर बातचीत करने के दौरान समिति के सदस्य अपनी निजी राय को हावी नहीं होने देंगे।
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उन्होंने जोर देकर कहा कि वे किसी पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं। गुरुवार को किसानों और अन्य स्टेकहोल्डर्स के साथ सुप्रीम कोर्ट की समिति की पहली बैठक प्रस्तावित है।
11 जनवरी को शीर्ष न्यायालय ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन नियुक्त सदस्यों ने इस समिति के गठन से पहले लेख और बयानों के माध्यम से कृषि कानूनों का समर्थन किया था। इसको लेकर प्रदर्शनकारी किसानों ने भी सवाल भी उठाया था। किसानों ने कहा है कि वह इस समिति के सामने पेश नहीं होंगे।
समिति के एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने पहले ही खुद को इससे अलग कर लिया है।