जुबिली स्पेशल डेस्क
भोपाल। मध्य प्रदेश(MP) के स्वास्थ्य विभाग ने 60 अस्पतालों के लाइसेंस रद्द करने का कड़ा कदम उठाया है। बताया जा रहा है कि इन अस्पतालों को अनियमितताओं और नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया गया था।
इसके बाद सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए एमपी नर्सिंग होम एंड क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1973 और नियम 1997 के तहत इनका लाइसेंस रद्द करने का फैसला किया है।
इसके आलावा 301 अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस भी थमाया है। इतना ही नहीं सरकार ने एक अहम आदेश में कहा है कि अस्पतालों को सुविधाओं में सुधार करने और कम से कम तीन एमबीबीएस डॉक्टरों की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर का कहर मध्य प्रदेश में भी खूब टूटा था और 4000 से अधिक लोगों की जिंदगी खत्म हो गई थी। इसके बाद सूबे स्वास्थ्य विभाग जागा और आनन-फानन में 692 अस्पतालों का निरीक्षण कर डाला है।
जानकारी मिल रही है कि कई जिलों में अस्पतालों को लेकर शिकायते मिल रही थी। कोरोना काल में उनका आरोप था कि इन अस्पतालों ने ऑक्सीजन और दवाओं सहित कोई भी सुविधा प्रदान नहीं की।
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शिवराज सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करना चाहती है। इस वजह से कड़े कदम उठा रही है। चिकित्सा शिक्षा विभाग मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, कि स्वास्थ्य विभाग की आंतरिक जांच में, यह पाया गया कि निजी अस्पतालों में इलाज में देरी और खराब इलाज के कारण कई लोगों की मौत हुई।
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जानकारी के अनुसार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा जून और जुलाई में 52 जिलों के अस्तपालों का दौरा किया था और कई अस्तपालों में अनियमितताओं और नियमों का खुलेआम धज्जियां उठायी जा रही थी। इसके बाद सरकार ने इन अस्तपालों पर कड़ा एक्शन लिया है।