प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. राम मन्दिर के भूमि पूजन की तैयारियां एक बार फिर तेज़ हो गई हैं. पूरी अयोध्या को पीले रंग से रंगने का काम चल रहा है. राम लला के मोती जड़ित हरे वस्त्र तैयार हो चुके हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद बार-बार अयोध्या के दौरे कर रहे हैं. खुद अपनी देखरेख में सारी तैयारियां करा रहे हैं. 5 अगस्त 2020 को भारत के प्रधानमन्त्री अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का भूमि पूजन करेंगे. एक बार फिर अयोध्या राम मय हो उठी है. राम मन्दिर के भूमि पूजन समारोह में सब कुछ दर्शनीय होने वाला है लेकिन जो सबसे ख़ास बात है वह यह कि अयोध्या के लोग और खुद राम मन्दिर का भूमि पूजन एक बार फिर देखेंगे.
मौजूदा सरकार राम मन्दिर के भूमि पूजन समारोह को एतिहासिक बनाने की तैयारियों में जुटी है लेकिन अयोध्या के लोग उस एतिहासिक पल के इंतज़ार में हैं जब वह भगवान राम के शानदार मन्दिर में पूजन करने जाएँ. अयोध्या के लोगों के लिए न भूमि पूजन नई बात है और न ही प्रधानमंत्री का भूमि पूजन के लिए खुद इतना आह्लादित होना क्योंकि अयोध्या यह एतिहासिक पल 9 नवम्बर 1989 को ही देख चुकी है.
9 नवम्बर 1989 को हुए भूमि पूजन को तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गांधी के निर्देश पर ही सम्पन्न कराया गया था. तब सरकार कांग्रेस की थी लेकिन कांग्रेस ने मुहूर्त का पूरा ध्यान रखा था. कार्तिक मॉस के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भूमि पूजन हुआ था. इसी एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं. राजीव गांधी खुद उस भूमि पूजन में शामिल होना चाहते थे लेकिन चुनाव की वजह से उन्होंने इस धार्मिक कार्यक्रम से दूरी बनाकर रखी थी.
यह भी पढ़ें : तो इसलिए एसीएमओ को देना पड़ा इस्तीफा
यह भी पढ़ें : महबूबा की रिहाई तीन महीना टली
यह भी पढ़ें : सुशांत सुसाइड केस : पुलिस पहुँचने से पहले गायब क्यों हुए रिया और शोविक
यह भी पढ़ें : यूपी की इस यूनीवर्सिटी के लिए नहीं हैं वित्त उप समिति के कोई मायने
उस भूमि पूजन और इस भूमि पूजन में जो कामन बात है वह विश्व हिन्दू परिषद का हर कार्यक्रम में आगे-आगे होना है, लेकिन उस भूमि पूजन की सबसे ख़ास बात यह है कि तब पहली ईंट दलित युवक कामेश्वर चौपाल ने रखी थी.