जुबिली न्यूज डेस्क
भूमि पेडनेकर , शहनाज गिल, शिबानी बेदी, यूट्यूबर्स से एक्टर बनी कपिला कुशा और डोली सिंह स्टाटर फिल्म ‘थैंक्यू फॉर कमिंग’ बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है. इस फिल्म की कहानी महिलाओं के सेक्शुअल इच्छाओं पर खुलकर बात करने को लेकर है. इस फिल्म को एकता कपूर ने प्रोड्यूसर किया है. इस फिल्म को क्यों बनाया गया. क्या मतलब है. ये फिल्म ना तो फिल्म की स्टोरी से कनेक्ट कर रही है ना ही आडियंस से…. इस फिल्म की स्टोरी एक ऐसी लड़की की है जिसकी उम्र 32 साल है. जो अपने सेक्स लाइफ को लेकर परेशान रहती है.
फिल्म की कहानी एक ऐसी लड़की की है जिसे शुरू से लड़के ये कहते हैं कि उसे ठीक से सेक्स करना नहीं आता और उसे जिंदगी में कभी orgasm नहीं हुआ तो बस वो orgasm की तलाश में लग जाती है.सोचिए orgasm की तलाश में और किसी के भी साथ सोने को तैयार है और पूरे इमोशन्स के साथ, इस कहानी में कभी भी कुछ भी होता है.वो लड़की किसी के भी साथ कुछ भी करने को तैयार रहती है. बस चरम सुख की प्राप्ति के लिए. आगे कहानी में क्या है.ये देखने के लिए थिएटर मत जाइएगा. ओटीटी पर आ जाएगी और कुछ करने को ना हुआ तो देख लीजिएगा.
फिल्म को लेकर फैंस ने क्या कहा
ये कहानी देखकर लगता है कि या तो हम बहुत पीछे रह गए हैं या ये फिल्म ही बड़े आगे वाले जमाने की बनाई गई है. फिल्म शुरू से ही बस एक ही मुद्दे पर चलती है चरम सुख की तलाश पर और आप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या ऐसा भी होता है. क्या कोई लड़की ऐसा भी करती है. हमने तो नहीं देखा. आपको समझ नहीं आता कि क्या हो रहा है. क्यों हो रहा है, किसलिए हो रहा है. इंटीमेट सीन भी इरिटेट करते हैं. कहानी कहीं से कहीं कनेक्ट हो जाती है लेकिन दर्शकों से कनेक्ट नहीं हो पाती.
सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की भीड़ जुटाकर फिल्म को पब्लिसिटी तो दिलवाई जा सकती है लेकिन अच्छी फिल्म के लिए अच्छी कहानी चाहिए, अच्छा ट्रीटमेंट चाहिए.जो इस फिल्म में मिसिंग है और एंड में आप समझ नहीं पाते कि ये फिल्म क्या ये बात कर रही थी जो क्लाइमैक्स में की गई है और आपको लगता है कि आपके साथ धोखा हो गया है.
फिल्म में एक्टिंग मस्ती
भूमि पेडनेकर लीड रोल में हैं. उनका काम ठीक है लेकिन फिल्म की कहानी और ट्रीटमेंट ही बकवास है तो वो क्या करतीं. शहनाज गिल को फिल्म के प्रमोशन में काफी आगे रखा गया.उनकी फॉलोइंग जबरदस्त है .उसे भुनाने की कोशिश की गई. शहनाज फिल्म में लगी भी अच्छी हैं लेकिन यहां आपको वो मासूम वाली शहनाज नहीं दिखेंगी, हॉट एंड सिजलिंग वाली दिखेंगी. लेकिन उन्हें भी काफी कम स्पेस मिला है और वो अचानक गायब भी हो जाती हैं. कुशा कपिला का काम ठीक है लेकिन उन्हें काफी कम स्पेस मिला है. शिबानी बेदी ने भी ठीक एक्टिंग की है. कुल मिलाकर एक्टर्स का कम ठीक है लेकिन जब डायरेक्टर क्लियर नहीं होगा तो एक्टर क्या करेंगे?
इतने मॉर्डन से पिछड़े ही सही
करन बुलानी ने फिल्म को डायरेक्ट किया है. वो कहानी को या तो ठीक से समझ नहीं पाए या समझा नहीं पाए. मॉर्डन होने का मतलब, आजादी का मतलब अगर ये सब होता है तो हम पिछड़े ही सही हैं. कोई लड़की किसी भी टाइम किसी के भी साथ सेक्स करने को ऐसे ही तो तैयार नहीं हो जाती तो डायरेक्टर साहब को समझना पड़ेगा कि वो कहना क्या चाहते हैं. हम तो नहीं समझ पाए.