जुबिली स्पेशल डेस्क
मुंबई। देश की संसद में इस वक्त घमासान मचा हुआ है। मोदी सरकार और विपक्ष के बीच जोरदार बहस देखने को मिल रही है। इतना ही नहीं हंगामे की वजह से विपक्ष के एक नहीं 143 सांसदों को संसद से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
इस वजह से विपक्ष अब सडक़ों पर उतरकर मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। अब उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) ने भी मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला है।
अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा है। सामना में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह को लोकतंत्र, संविधान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से कोई प्रेम नहीं है।
प्रधानमंत्री बोलते कुछ हैं, लेकिन करते कुछ और ही हैं. यह उनका आत्मविश्वास है कि लोग मूर्ख हैं और हम उन लोगों को आसानी से मूर्ख बना सकते हैं जो मूर्ख नहीं हैं।
इसमें आगे लिखा गया है कि संसद में घुसपैठ क्यों और कैसे हुई? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? यह सवाल विपक्षियों ने सदन में पूछ लिया तो क्या गुनाह कर दिया?
गृहमंत्री को इस मुद्दे पर बाहर प्रवचन झाडऩे की बजाय संसद में बोलना चाहिए। संसद का सत्र चल रहा है और प्रधानमंत्री, गृहमंत्री घुसपैठ को लेकर खुलासे करते घूम रहे हैं।
आगे लिखा कि 22 जनवरी को प्रधानमंत्री भव्य श्रीराम मंदिर का उद्घाटन करने अयोध्या जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने लोकतंत्र के मंदिर को श्मशान बना डाला, इसे क्या कहा जाए? क्या उन्हें राम मंदिर का उद्घाटन करने का अधिकार है? मोदी का ये कहना है, विधानसभा चुनाव हारने के कारण विपक्ष हताश हो गया है और संसद में घुसपैठ के मामले में राजनीति कर रहा है। मोदी की बातों का कोई मतलब नहीं है. विपक्ष कोई हताश वगैरह नहीं हुआ है। ईवीएम है तो मोदी है यही चार राज्यों के नतीजों का मतलब है।
शिवसेना (यूबीटी) ने अपने मुखपत्र में कहा कि विपक्ष हार के चलते हताश नहीं हुआ है बल्कि भाजपा और उसके नेताओं पर विजय का नशा और उन्माद चढ़ गया है. उस उन्माद में वे संसद के नियम, संविधान को आग लगाकर उसको मरघट बना रहे हैं, लेकिन विपक्ष इन परिस्थितियों में भी लड़ रहे हैं और सीने पर घाव झेलते हुए आगे बढ़ रहे हैं. यदि मोदी सचमुच लोकतंत्र के भक्त हैं तो उन्हें 2024 का चुनाव मतपत्र पर कराकर अपने विरोधियों को परास्त करके दिखाना चाहिए.
इस पर सवाल उठाने वाले 143 सांसदों को सरकार ने निलंबित कर दिया। प्रधानमंत्री मोदी फिर विपक्ष पर आरोप लगाकर लोकतंत्र की मिमिक्री कर रहे हैं। संसद में घुसपैठ को लेकर चार पंक्तियों का बयान देना था, लेकिन इसकी बजाय लोकसभा, राज्यसभा से विपक्षियों को बाहर कर दिया गया और लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर को सरकार ने मरघट बना डाला।