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चाणक्य की भूमिका में रहने वाला ठाकरे परिवार अब चंद्रगुप्त बनने की तैयारी में

न्यूज डेस्क

ऐसी चर्चा है कि शिवसेना में करीब 52 साल बाद एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। मुंबई की सत्ता की चाभी अपने हाथ में रखने वाले ठाकरे परिवार में यह परिवतर्न देखने को मिलेगा। अब तक चाणक्य की भूमिका में रहने वाला ठाकरे परिवार अब चंद्रगुप्त बनने की तैयारी में है। परिस्थितियां ऐसी दिख रही हैं कि ठाकरे परिवार में पहली बार कोई चुनाव लड़कर सामने से राजनीति की लड़ाई लडऩे को तैयार हैं। यह लड़ाई लड़ेंगे बाल ठाकरे के पौत्र और उद्धव ठाकरें के बेटे आदित्य ठाकरे।

20 जुलाई को शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री पद की रेस में निकले थे। आदित्य ने जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कहा था कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि, ‘यह तो जनता तय करेगी।’ हालांकि राज्य का अगला मुख्यमंत्री तो उनकी पार्टी ही तय करेगी।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र  में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होना है। आदित्य विधानसभा चुनाव में बतौर शिवसेना प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार है। सीएम पद की रेस में आदित्य को इस बार सबसे आगे माना जा रहा है। आदित्य की तैयारी आज से नहीं है। हालांकि सुगबुगाहट देर से शुरु हुई। वह काफी समय से मंच साझा कर रहे हैं। जनता से रूबरू हो रहे हैं।

शिवसेना के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं प्रशांत किशोर

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) को यूथ विंग के मुखिया आदित्य ठाकरे का राजनीतिक करियर संवारने की जिम्मेदारी दी गई है। दरअसल फरवरी माह में ही प्रशांत ने शिवसेना प्रमुख उद्धव और उनके बेटे आदित्य ठाकरे से मुलाकात भी की थी। उसी समय ऐसी चर्चा शुरु हो गई थी कि शिवसेना ने ‘पीके’ को साथ लाकर एक खास प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है।

सूत्रों के मुताबिक राजनीति में आदित्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रशांत ने कई तरह की रणनीति तैयार की है। विधानसभा चुनाव से पहले आदित्य ठाकरे की तरफ से जन आशीर्वाद यात्रा निकालना भी इसी रणनीति का एक हिस्सा है।

ऐसे में अब जिस तरह से प्रशांत किशोर आदित्य को संवारने में जुटे हैं, तो यह साफ हो गया है कि उस समय उनकी मुलाकात का मकसद आने वाले विधानसभा में शिवसेना के लिए रणनीति तैयार करने का था। इसी रणनीति को अब प्रशांत जमीन पर उतार रहे हैं।

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इस बार आदित्य हो सकते हैं सीएम फेस

चूंकि महाराष्ट्र में चुनाव करीब है तो चर्चाओं का बाजार भी खूब गरम है। हाल ही में ऐसी चर्चा हुई थी कि शिवसेना के 52 साल (1966 में पार्टी बनी थी) के इतिहास में पहली बार होगा जब आदित्य ठाकरे सीधे चुनावी मैदान में होंगे और वह पार्टी की तरफ से मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी हो सकते हैं।

ऐसी खबरों को बल तब मिला जब पार्टी ने भी पिछले दिनों कहा कि गठबंधन (बीजेपी के साथ) सरकार में इस बार मुख्यमंत्री का पद उसके हिस्से में आना है। ऐसे में शिवसेना इस पूरे चुनाव के दौरान आदित्य ठाकरे को एक परिपक्व नेता के रूप में जनता के सामने पेश करना चाहती है। इसमें प्रशांत किशोर की भूमिका काफी अहम रहने वाली है।

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कौन हैं प्रशांत किशोर

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर तब चर्चा में आए जब 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कमान संभाले थे। बतौर चुनावी रणनीतिकार उनका चाय पर चर्चा वाला कांसेप्ट बहुत हिट गया था। उन्हीं के कारण नरेंद्र मोदी भारी बहुमत से सरकार बनाने में सफल रहे थे।

इतना ही नहीं बिहार में जब बीजेपी और जेडीयू एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में थे, प्रशांत ही थे जिन्होंने नीतीश और लालू यादव की जोड़ी को सत्ता तक पहुंचा दिया था। हालिया आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी प्रशांत ने जगन मोहन रेड्डी के लिए रणनीति तैयार की और उसका परिणाम काफी सुखद रहा। ना सिर्फ जगन की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस बड़ी जीत दर्ज कर सकी बल्कि जगन सीएम की कुर्सी तक भी पहुंचे।

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