जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। कोरोना काल में बुरी तरह प्रभावित देश का कपड़ा उद्योग अब तक पूरी तरह नहीं उबर पाया है, लेकिन सर्दी के सीजन में ऊनी कपड़ों की मांग में सुधार से उद्योग को राहत जरूर मिली है। हालांकि पिछले साल के मुकाबले बिक्री करीब 40% कम है और इसकी मुख्य वजह शादियों और पार्टियों के परिधानों की मांग नदारद है।
एशिया में रेडीमेड गारमेंट के सबसे बड़े बाजारों में शुमार दिल्ली के गांधीनगर मार्केट में पिछले साल की तरह चहल- पहल नहीं है। हालांकि बीते त्योहारी सीजन में दिवाली के मौके पर रेडीमेड गार्मेट की बिक्री जोर पकड़ने से बाजार में रौनक रही।
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उत्तर भारत में गारमेंट और होजरी की प्रमुख औद्योगिक नगरी लुधियाना में हालांकि त्योहारी सीजन के दौरान पंजाब में किसानों के आंदोलन के चलते रेल परिवहन बंद रहने के कारण कारोबारियों को ऑर्डर समय पर पूरा करने में कठिनाई आई, मगर इस समय ऊनी कपड़ों की मांग निकलने से बहुत हद तक राहत मिली है। लेकिन कारोबारी बताते हैं कि पिछले साल के मुकाबले बिक्री करीब 40% कम है।
निटवेअर एंड अपेरल मन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रेसीडेंट सुदर्शन जैन की माने तो पंजाब में किसान आंदोलन के चलते जब रेल परिवहन बंद था, उस समय न तो देश के अन्य शहरों के ऑर्डर समय पर कारोबारी पूरा कर पा रहे थे, न ही निर्यात के सौदों की डिलीवरी कर पा रहे थे।
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लेकिन अब किसान आंदोलन से उद्योग पर कोई असर नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के आरंभिक चरण में बाजार बंद होने से कारोबार पर जो असर पड़ा था उसमें काफी कुछ रिकवरी आ गई है, लेकिन पिछले साल की इसी अवधि से अगर तुलना करें तो मांग अभी भी 35-40% कम है।
वहीं गांधीनगर के कारोबारियों को आगे शादी का सीजन शुरू होने का इंतजार है। कारोबारी बताते हैं कि कपड़ों की बिक्री मुख्य रूप से शादी के सीजन में जोर पकड़ती है।
गांधीनगर स्थित रामनगर रेडिमेड गारमेंट मर्चेट एसोसिएशन के प्रेसीडेंट एस.के. गोयल का मानना है कि इस समय न तो शादी का सीजन है और न ही पार्टी वियर के परिधानों की मांग है। हालांकि उनको उम्मीद है कि अगले महीने फरवरी से रेडीमेड गारमेंट की मांग में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है।
गोयल को उम्मीद है कि अगला सीजन अब अच्छा रहेगा और कपड़ा उद्योग में तेजी से रिकवरी आएगी। उन्होंने बताया कि इस समय रेडीमेड गारमेंट की मांग पिछले साल के मुकाबले बमुश्किल से 50-60% है।
उद्योग संगठनों के मुताबिक भारत में कपड़ा उद्योग कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है, लेकिन कोरोना काल में उद्योग का हाल खस्ता होने से मजदूरों और कारीगरों को भी बेकारी का सामना करना पड़ा। हालांकि उद्योग में रिकवरी आने से मजदूरों और कारीगरों को भी अब रोजगार के साधन मिलने लगे हैं।
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