जुबिली न्यूज डेस्क
अफगानिस्तान में आखिरकार तालिबान ने देश की कार्यवाहक सरकार का ऐलान कर ही दिया। नई कैबिनेट में उन सभी चेहरों को जगह दी गई है जिन्होंने अफगानिस्तान में बीते 20 साल में अमेरिकी नेतृत्व वाली फौजों से जंग में अहम भूमिका अदा की है।
तालिबान की नई सरकार में मुल्ला हसन अखुंद को अंतरिम प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है तो वहीं दो लोगों को अंतरिम उप प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी दी गई है। इनमें एक नाम मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का है, जिन्होंने अमेरिका के साथ हुई बातचीत का नेतृत्व किया और अफगानिस्तान से अमेरिका की पूरी तरह विदाई से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए।
तालिबानी प्रवक्ता के अनुसार आमिर खान मुत्तकी को अंतरिम विदेश मंत्री बनाया गया है, जबकि भारतीय सैन्य अकादमी से पढ़ाई कर चुके अब्बास स्टानकजई को विदेश उप मंत्री नियुक्त किया गया है।
इसके अलावा हक्कानी नेटवर्क का नेतृत्व करने वाले सिराजुद्दीन हक्कानी को अंतरिम गृह मंत्री बनाया गया है जबकि मुल्ला याकूब को अंतरिम रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी मिली है।
मालूम हो कि मुल्ला याकूब के पिता मुल्ला मोहम्मद उमर ने ही तालिबान की स्थापना की थी।
सबसे बड़ी बात यह है कि तालिबान की नई सरकार में कम से कम पांच ऐसे चेहरे शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र यूएन ने आतंकी घोषित कर रखा है।
उदाहरण के लिए तालिबान ने सिराजुद्दीन हक्कानी को अफगानिस्तान का नया गृहमंत्री बना दिया है, जो मोस्ट वांटेड आतंकवादी है, जिसके सिर पर अमेरिका ने इनाम घोषित कर रखा है।
हक्कानी का नाता पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान इलाके से है। खूंखार आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क को चलाने वाले सिराजुद्दीन हक्कानी के बारे में कहा जाता है कि वो नॉर्थ वजीरिस्तान के मिराम शाह इलाके में रहता है।
हक्कानी नेटवर्क के इस शीर्ष आतंकवादी का नाम FBI की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में अभी भी शामिल है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आतंकियों से भरी इस सरकार को दुनिया कैसे मान्यता देगी।
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प्रधानमंत्री : मुल्ला हसन अखुंद
अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार का मुखिया बना मुल्ला हसन अखुंद संयुक्त राष्ट के वैश्विक आतंकियों की सूची में शामिल है। यूएन प्रतिबंध रिपोर्ट ने अंखुद को उमर के करीबी सहयोगी और राजनीतिक सलाहकार के रूप में डिस्क्राइब किया है।
मुल्ला हसन अखुंद तालिबान की शक्तिशाली निर्णय लेने वाली संस्था रहबरी शूरा या नेतृत्व परिषद के लंबे समय से प्रमुख हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अखुंद तालिबान के शुरुआती स्थल कंधार से ताल्लुक रखते हैं और सशस्त्र आंदोलन के संस्थापकों में से हैं। उन्होंने ‘रहबरी शूरा’ के प्रमुख के रूप में 20 साल तक काम किया और मुल्ला हेबतुल्लाह अखुंदजादा के करीब माने जाते हैं।
उप प्रधानमंत्री: मुल्ला बरादर
मुल्ला बरादर तालिबान के संस्थापकों में से एक है। बरादर को कभी मुल्ला उमर का करीबी माना जाता था। साल 1994 में तालिबान के गठन में बरादर भी शामिल था। 1996 से 2001 तक जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर राज किया, तब बरादर ने अहम भूमिका निभाई थी और रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया था।
संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध नोटिस (यूएन सैंक्शन नोटिस) में कहा गया है कि तालिबान सरकार के पतन के बाद बरादर ने गठबंधन बलों पर हमलों के लिए जिम्मेदार एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर के रूप में कार्य किया।
दूसरा उप-प्रधानमंत्री : अब्दुल सलाम हनाफी
अब्दुल सलाम हनाफी पर मादक पदार्थों की तस्करी के लिए संयुक्त राष्ट्र ने प्रतिबंध लगा रखा है। माना जाता है कि 53 वर्षीय अब्दुल सलाम हनाफी को मई 2007 में उत्तरी अफगानिस्तान के जॉज़ुजान प्रांत का प्रभारी बनाया गया था।
ऐसा कहा जाता है कि अब्दुल सलाम हनाफी ही यूएस-अफगानिस्तान शांति समझौते की कुंजी था।
गृह मंत्री – सिराजुद्दीन हक्कानी
हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख और सोवियत विरोधी क्षत्रप जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम वैश्विक स्तर के आतंकवादियों की सूची में हैं। अमेरिका ने उसके बारे में सूचना पर 50 लाख डॉलर (73 करोड़ 36 लाख और 65 हजार) का इनाम घोषित कर रखा है।
सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्रालय का कार्यभार मिला है। हक्कानी नेटवर्क के इस शीर्ष आतंकवादी का नाम FBI की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में अभी भी शामिल है। सिराजुद्दीन हक्कानी के कारनामों की लिस्ट भी काफी बड़ी है।
विदेश मंत्री : आमिर खान मुतक्की
आमिर खान मुतक्की ने पिछली तालिबान सरकार में शिक्षा मंत्री के साथ-साथ संस्कृति और सूचना मंत्री कार्यभार संभाला था।
मूल रूप से पक्तिया का रहने वाला आमिर खान खुद को हेलमंद का रहने वाला बताता है। मुतक्की को बाद में कतर भेजा गया। उसे शांति आयोग और वार्ता दल का सदस्य नियुक्त किया गया। उसने अमेरिका के साथ बातचीत की।
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