पंकज प्रसून
1-कांग्रेस आम आदमी से जुड़े मुद्दों को ठीक तरह से उठा नही पाई। राफेल इतना टेक्निकल मुद्दा है कि जनता की समझ में ठीक से आ नही आया। इस बार चुनाव में पहली बार ऐसा लग रहा की महंगाई कोई मुद्दा ही नही है। जबकि गैस सिलेंडर महंगा हो गया और पेट्रोल डीजल के दाम में भी राहत नही मिली । कांग्रेस जनता को यह बता पाने में असफल हो गई है कि सब्जियां ,तेल, दाल पेट्रोल आदि महंगे हो गए हैं। इसके उलट पिछली बार बीजेपी इन मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठा कर सत्ता में आई थी।
2 कांग्रेस के पास नारे गढ़ने वाली टीम बहुत कमजोर है। पिछली बार ‘अच्छे दिन आने वाले है’ नारे ने लोगो के अंदर उम्मीद की किरण पैदा की थी। इस बार ‘मोदी है तो मुमकिन है’ के साथ उतरी। कोंग्रेस यह सवाल उठाने में नाकाम रही कि अच्छे दिनों के दौरान क्या मुमकिन नही हो पाया। बीजेपी सकारात्मक नारों के साथ तो कोंग्रेस नकारात्मक नारो के साथ मैदान में है। चौकीदार चोर है ऐसा ही एक नकारात्मक नारा है जिसे जनता पचा नही पा रही और राहुल की किरकिरी भी हो गई। अच्छा होता कि वह कहते -राहुल है तो हल है या फिर सबका हाथ सबका विकास आदि..
3- यह वह दौर है जब समाज डेवलपर को कम और प्रेजेंटेटर को ज्यादा पसन्द करती है। भाषण भी एक कला होती है। आपकी सोच आपके भाषणों के प्रस्तुतीकरण से पता चलती है। राहुल गांधी ने हालांकि काफी सीखा लेकिन अभी निपुण नही हो पाए हैं। आत्मविश्वाश के साथ झूठ नही बोल पाते। पकड़े जाते हैं फिर किरकिरी होती है। भाषणों में दुष्यंत की शायरी, दिनकर की कविता, प्रेमचन्द्र के उद्धरण अगर आप बोलते तो आप जनता से ज्यादा जुड़ पाते। या तो वह रट नही पाए या किसी ने सलाह नही दी।
4- इस वक्त बेरोजगारी चरम पर है। सरकारी आंकड़े जारी नही किये जा रहे। ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं की 50 लाख रोजगार छीन लिए गए। भारत में सर्वाधिक आबादी युवाओं की है लेकिन कांग्रेसी राफेल में इतना फंसे रहे कि बेरोजगारी का मुद्दा ही डायल्यूट हो गया। बेहतर होता कि वह इस पर फोकस करते तो युवा उनके साथ जुड़ जाता
5 -कहा गया है डर के आगे जीत है।राहुल गांधी लोगों के दिलों में कोई डर नही पैदा कर पाए। थोड़ा बहुत पैदा भी किया तो कुछेक प्रतिशत मुस्लिमो के मन में। जबकि दूसरी ओर देश की 80 प्रतिशत जनता यानी कि हिंदुओ के मन में डर पैदा कर दिया गया कि वह खतरे में हैं। डर ही ध्रुवीकरण का माहौल बनाता है।
6 – राहुल गांधी को आस्था का राजनैतिक इस्तेमाल करना नही आया। एक और कह देते हैं कि मैं जनेऊधारी हूँ तो दूसरी ओर राम मन्दिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का पालन करने की बात करते हैं। यहीं वह चूक जाते हैं उनको कहना चाहिए- कसम जनेऊ की राम मन्दिर मैं बनवा के रहूँगा, चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए। वह आंकड़े देते फिरते हैं जबकि हमारे यहां चुनाव भावनाओ के आधार पर लड़ा जाता है। और इन्हें भड़काना एक कला है।
7 – राहुल गांधी अम्बानी अडानी सहित बड़े उद्योगपतियों की खुले आम खिंचाई करते हैं और यह कह रहे कि न्याय योजना का 6 हजार अंबानी की जेब से निकालूंगा। लेकिन वह यह भूल जाते हैं की कारपोरेट फंडिंग के बिना पार्टी चलाना प्रचार करना हैलीकॉप्टरों में चलना,, रैलियां करना सम्भव नहीं है। भव्यता इन्ही से आती है। अम्बानी का अपना भी जनाधार है। 300 लाख तो सिर्फ जिओ यूजर हैं। उद्योग जगत का कांग्रेस से किनारा करना शुभ संकेत नहीं हैं ।
8 – संविधान सभा को संबोधित करते हुए राजेन्द्र प्रसाद ने कहा था की हमें नेक ईमानदार और चरित्रवान जन प्रतिनिधि चुन कर भेजना है। अगर ऐसे लोग नहीं पहुंचते तो यह संविधान देश को खुशहाल नही कर पायेगा। यानी यहां अपना प्रतिनिधि चुनने की बात की थी। लेकिन राहुल के विरोधी जनता में ऐसा नरेटिव बनाने में सफल हुए हैं कि आप प्रधानमंत्री चुन रहे हैं। आपका वोट सीधे प्रधानमंत्री को जाएगा। ऐसे में लोग प्रधानमंत्री के आभामंडल में दबकर राहुल को नकार दे रहे हैं। क्योंकी उनके अंदर अभी जनता को एक प्रधानमंत्री नही दिख रहा है।
9 – ऐसा नही है कि कांग्रेस में जमीनी और सशक्त नेताओ की कमी है। सचिन पायलट से लेकर ज्योतिरादित्य तक कई विकल्प मौजूद थे। बेहतर होता कि राहुल गांधी उनको आगे करके चुनाव लड़ते तो वंशवाद का ठप्पा न लगता और कांग्रेस देश में बेहतर स्थिति में होती। सोनिया गांधी को भी बारे में सोचना चाहिए था की ऐसे लोगों को आगे करें जो राहुल से बेहतर समझ, सोच और भाषण दे लेते हों, और उनका प्रस्तुतीकरण बेहतर हो।
10 – राहुल गांधी को खुल के मीडिया के कार्यक्रमों में जाना चाहिए था। उनके सवालों का जवाब देना चाहिए था। कुछ नही तो रजत शर्मा की अदालत में ही चले जाते तो जनता को उनका विजन पता चलता और कन्फ्यूजन भी दूर होता। इमेज बिल्डिंग होती। इधर नमो टीवी के माध्यम से हर घर मोदीमय हो गया। प्रधानमंत्री जी ने हर टीवी चैनल को इंटरव्यू दिया।
11- मोदीजी तर्कों के मास्टर है। जब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गुजरात के गधों की बात की तो मोदी जी ने गधे के ऐसे गुण बताए कि जनता मुरीद हो गई। जब मणिशंकर ने नीच कहा तो उन्होंने इसे जाति से जोड़कर माईलेज ले लिया। यह खूबी उनको विशेष बनाती है।
(लेखक प्रख्यात व्यंगकार हैं )