Monday - 28 October 2024 - 10:45 PM

टेलीकॉम कंपनियों की बढ़ी मुश्किल, हर घंटे झेला करोड़ों का नुकसान

न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध में देश में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इन प्रदर्शनों को काबू करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों ने अपने यहां कई इलाकों में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा रखी है।

इंटरनेट सेवा पर रोक लगने से टेलीकॉम कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। टेलीकॉम इंडस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार नेटबंदी से कंपनियों को हर घंटे करीब 2.45 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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बीते शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के करीब 21 जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया। टेलिकॉम कंपनियां सरकार के आदेश पर इंटरनेट शटडाउन की जानकारी ग्राहकों को SMS के जरिए दे रही हैं।

रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कुछ अन्य लोगों के हवाले से लिखा है कि इंटरनेट सर्विस प्रदाताओं ने दिल्ली के कुछ बाहरी इलाकों में होम ब्रॉडबैंक सेवा भी 24 घंटों के लिए बंद कर दिया था।

हालांकि 28 दिसंबर यानी आज इस सेवा को फिर से शुरू कर दिया गया है। लेकिन अभी भी सरकार विरोध की गतिविधियों पर नजर बनाये हुए है। जरुरत पड़ने पर दोबारा इंटरनेट पर रोक लगाई जा सकती है। अभी न्यू ईयर में भी लोगों को इंटरनेट की बंदी का सामना करना पड़ सकता है।

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सबसे अधिक इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं भारतीय

स्वीडेन की टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक भारतीय औसतन हर माह 9.8GB डाटा अपने स्मार्टफोन के जरिए खर्च करता है, जोकि पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। Facebook और Whatsapp जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार माना जाता है।

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने कहा कि इंटरनेट शटडाउन सरकार की तरफ से की जाने वाली पहली कार्रवाई यानी फर्स्ट कोर्स ऑफ एक्शन नहीं होनी चाहिए। भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो इन्फोकॉम भी इस एसोसिएशन के सदस्य है।

COAI के निदेशक राजन मैथ्युज ने कहा, ‘हमने शटडाउन से होने वाले नुकसान पर ध्यान​ दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘2019 के अंत तक हमारे गणना के हिसाब से इंटरनेट शटडाउन की वजह से टेलीकॉम कंपनियों को हर घंटे 2.4 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।’

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कश्मीर में भी 140 दिनों के लिए बंद थी इंटरनेट सेवाएं

पहले से ही प्रतिस्पर्धी टैरिफ की मार से परेशान इन कंपनियों की रेवेन्यू पर भी इसका असर दिखाई देगा। बता दें कि इसके पहले कश्मीर में भी लगातार 140 दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं थी।

जब हर घंटे में 2.4 करोड़ रुपए का नुकसान इन टेलीकॉम कंपनी को उठाना पड़ा हो, ऐसे में आसानी से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कश्मीर में 140 दिन में इन कंपनियों ने क्या खोया होगा।

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