न्यूज़ डेस्क
कोलकाता। नागरिकता कानून में किये गये संशोधन के विरोध में असम में जारी प्रदर्शन से चाय उत्पादकों को उत्पादन पर असर पड़ने का डर सता रहा है।
विरोध प्रदर्शन से कई चाय बागानों में उत्पादन आंशिक रूप से प्रभावित हुआ और गुवाहटी नीलामी केंद्र में चाय की बिक्री पर भी असर पड़ा है। उद्योग से जुड़े लोगों ने ये जानकारी दी। उनका कहना है कि प्रदर्शन से चाय के आवागमन पर भी असर हुआ है।
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नॉर्थ इस्टर्न टी एसोसिएशन के सलाहकार विद्यानंद बरकाकोटी ने मीडिया को बताया कि सर्दी का मौसम चाय उत्पादन का सबसे अच्छा मौसम नहीं है लेकिन व्यापक विरोध प्रदर्शन से राज्य के कई बागानों में पत्तियां तोड़ने और विनिर्माण गतिविधियों से जुड़े कामकाज प्रभावित हुए हैं।
एसोसिएशन ने कहा कि पिछले कुछ सालों की तुलना में इस दिसंबर में मौसम अनुकूल है और उत्पादक बेहतर गुणवत्ता की चाय का उत्पादन कर सकते हैं। हालांकि विरोध प्रदर्शनों से कई बागानों में कामकाज पर असर दिखा है।
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ऑल असम टी ग्रोवर्स एसोसिएशन के महासचिव करुणा महंत ने बताया बंद के दौरान, ज्यादातर बागान बंद रहे हैं। शुक्रवार को चाय की पत्तियां तोड़ने का काम हुआ, लेकिन यह व्यापक पैमाने पर नहीं हो सका क्योंकि परिवहन के साधनों की कमी के कारण कई श्रमिक नहीं आ सके।
चाय नीलामी केंद्र में बिक्री पर असर
उत्पादकों ने कहा कि श्रमिकों की कमी की वजह से चाय बोर्ड ने पत्ती तोड़ने के समय को बढ़ाकर 19 दिसंबर कर दिया है। इससे पहले बोर्ड ने पत्तियां तोड़ने और विनिर्माण गतिविधियों को दिसंबर मध्य तक बंद करने के लिए कहा था।
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बरकाकोटी ने कहा नागरिकता कानून के विरोध में हिसंक प्रदर्शन और इंटरनेट सेवाएं बंद किए जाने से कई उत्पादकों को आशंका है कि श्रमिकों को मजदूरी देने में दिक्कत आ सकती है क्योंकि बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
गुवाहटी चाय नीलामी केंद्र में चाय की बिक्री पर भी असर पड़ा है। गुवाहटी टी ऑक्सन बायर्स एसोसिएशन के सचिव दिनेश बिहानी ने कहा हर हफ्ते करीब 40-45 लाख किलो चाय की बिक्री होती है, लेकिन इस सप्ताह अब तक सिर्फ 15 लाख किलो चाय बिकी है।