न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के सकल कर संग्रह के लक्ष्य की वजह से टैक्स पदाधिकारी भारी दबाव में हैं। दरअसल आर्थिक मंदी के बीच नरेंद्र मोदी सरकार चाहती है कि ये अधिकारी इस साल 17% ज्यादा डायरेक्ट टैक्स कलेक्ट करें।
इनकम टैक्स गजेटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भास्कर भट्टाचार्य की तरफ से उपलब्ध कराए गए डेटा के मुताबिक, इस साल अब तक टैक्स डिपार्टमेंट के 22 उच्चाधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए अर्जी दे चुके हैं जबकि साल 2018 में करीब 34 अधिकारियों ने ऐसा किया था।
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भट्टाचार्य का कहना है कि पहले ऐसा बहुत कम देखने को मिलता था कि ब्यूरोक्रेट ऐसी प्रतिष्ठाजनक माने जानी वाली नौकरियां छोड़ रहे हों।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि 25- 30 साल से काम कर रहे सीजन्ड ऑफिसर भी इस दबाव को और नहीं झेल सकते। वीआरएस की एक के बाद एक अर्जियां आ रही हैं फिलहाल डिपार्टमेंट में वीआरएस या गोल्डन हैंडशेक जैसी कोई योजना नहीं है।
उल्लेखनीय है कि मूडीज की भारतीय इकाई, आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2019- 20 के पहले छह माह में डायरेक्ट टैक्स का कलेक्शन तीन फीसदी ही बढ़ा है।
आईसीआरए के मुताबिक वित्त वर्ष 2019- 20 में राजस्व कर संग्रह प्रतिकूल नहीं है, जिससे राजकोषिय मंदी की संभावना व्यक्त की गई है।अप्रैल से सितम्बर की अवधि दूसरी तिमाही में राजकोषिय घाटा 5.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 6.5 लाख करोड़ पहुंच गया है।
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आईसीआरए में प्रिंसिपल इकनॉमिस्ट अदिति नायर ने अनुमान लगाया है कि इस साल के टारगेट को पूरा करने के लिए बाकी छह महीनों में टैक्स कलेक्शन 42% बढ़ाना होगा। यह टारगेट तब भी बरकरार है, जब सरकार डायरेक्ट टैक्स के अंदर आने वाले कोरपोरेट टैक्स में भारी कटौती कर चुकी है।