Friday - 25 October 2024 - 5:43 PM

भाजपाई गडकरी का फलसफाना अंदाज

सुरेंद्र दुबे

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अपने ढंग के अनोखे नेता हैं। पता नहीं कैसे राजनीति में आ गए। पर लगता है कि राजनीति का घटिया अंदाज कभी-कभी उन्‍हें अंदर से झकझोर देता है। फिर उनके अंदर छिपा एक दार्शनिक मन बाहर निकल कर अपने इर्द-गिर्द फैले वातावरण में उथल-पुथल मचाना शुरू कर देता है। वह भले भाजपाई हैं परंतु उनका जीवन फलसफाई है इसलिए अक्‍सर ऐसे बयान दे देते हैं जिससे लोग चौंक जाते हैं और उसके कुछ राजनैतिक निहितार्थ निकालने लगते हैं।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में ही बड़े पैमाने पर दल बदल कराकर सरकार तोड़ने और बनाने के देशव्‍यापी कार्यक्रम चल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी को यह पता ही नहीं चल पाता है कि किस राज्‍य के विधायक और सांसद कब और किन परिस्थितियों में दलबदल कर भाजपाई हो जाते हैं। दल बदलवाने का भी अंदाज निराला है। नेता से इस्‍तीफा दिला देते हैं और फिर भाजपा से चुनाव जितवा देते हैं।

जब दलबदल के आवश्‍यक दो तिहाई बहुमत का जुगाड़ करने का कष्‍ट ही नहीं उठाते तो फिर उन पर दलबदल कानून के उल्लंघन की तलवार कैसे गिर सकती है। हमारे संविधान के निर्माताओं ने यह कभी सोचा ही नहीं होगा कि इस लोकतंत्र में ऐसी स्थिति भी आएगी जहां लोग दलबदल तो करेंगे पर कानून को हाथ नहीं लगाने देंगे। वरना संविधान में ऐसी भी कोई व्‍यवस्‍था की गई होती, जिसमें चुनाव जीतने के बाद दल से इस्‍तीफा देकर दूसरी पार्टी से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की तिकड़में  भी सोची गई होती।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार (1सितंबर ) को कहा किसी नेता को एक विचारधारा पर टिके रहना चाहिए और डूबते जहाज से कूदते चूहों की तरह पार्टी बदलने से बचना चाहिए। गडकरी ने कहा, ” मुझे लगता है कि नेताओं को स्पष्ट रूप से राजनीति का अर्थ समझना चाहिए। राजनीति महज सत्ता की राजनीति नहीं है। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, पंडित जवाहर लाल नेहरू और वीर सावरकर जैसे नेता सत्ता की राजनीति में शामिल नहीं थे।” 

मोदी सरकार के सबसे काबिल मंत्रियों में से एक नितिन गडकरी ने नागपुर में मदर डेयरी के एक कार्यक्रम में कहा कि मैं किसी प्रोजेक्ट में सरकार की मदद नहीं लेता। सरकार जहां भी हाथ लगाती है, वहां सत्यानाश हो जाता है। गडकरी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘एक संत ने कहा कि आप अपने सामाजिक आर्थिक जीवन को खुद बनाते हैं। तब से मैंने सरकार पर और भगवान पर भरोसा रखना बंद कर दिया. ना मैं सरकार से मदद मांगता हूं, ना जाता हूं।

जाहिर है कि नितिन गड़करी का ये वक्‍तव्‍य उनके अंदर छिपे उस दर्द की कहानी है जो बड़े पैमाने पर हो रहे दलबदल से व्‍यथित है, जो उस पार्टी के ही कारनामे हैं, जिसके वह स्‍वयं नेता हैं। भाजपा का शीर्ष नेतृत्‍व जिस बेशर्मी से दलबदल कराकर अपने राजनैतिक हितों को साधने में लगा है उसका इतना मुखर विरोध तो विपक्ष के नेता भी नहीं कर पा रहे हैं।

नितिन गडकरी इस तरह के बयान देकर भाजपा नेतृत्‍व की खुलेआम आलोचना कर रहे हैं। परंतु पार्टी उनके खिलाफ गुस्‍से इजहार नहीं कर पा रही है। वह भी ऐसे समय जब भाजपा विरोध के किसी भी स्‍वर को सुनने को तैयार नहीं है। अश्वमेध यज्ञ के लिए निकले घोड़े पर सवार भाजपाई किसी की भी सुनने को तैयार नहीं हैं। जो भी बोलने की कोशिश करता है उसे बड़का टीवी के कुछ एंकरों से सुबह-शाम लुहू-लुहू कराते रहते हैं। पर गडकरी के मामले में न तो भाजपा साहस दिखाती है और न हीं टीवी के एंकर।

नितिन गडकरी मोदी सरकार के उन शीर्ष मंत्रियों में जिनका काम लल्‍लनटॉप है और जो किसी की गणेश परिक्रमा भी नहीं करते हैं। कहते हैं नितिन गडकरी के अच्‍छे कामकाज के कारण ही सरकार उन पर कोई टिप्‍पणी नहीं करती। काम बहुत मंत्रियों का अच्‍छा है पर वे भी डरे-डरे से रहते हैं और मोदी-मोदी का नारा लगाते रहते हैं।

समझा जाता है कि राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ में अच्‍छी पकड़ रखने के कारण मोदी चाह कर भी गडकरी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने से बचना चाहते हैं। पर ये भी एक अबूझ सी पहेली ही क्‍यों‍कि भाजपा में तमाम नेता ऐसे हैं, जिनकी संघ पर अच्‍छी पकड़ है। पर ये भी भाजपा या सरकार के ऊपर टिप्‍पणी करने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाते हैं।

नितिन गडकरी न केवल पार्टी और सरकार पर प्रहार करते रहते है वरन् शासन-प्रशासन को भी खरी-खोटी सुनाते रहते हैं। कुछ समय  पहले उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान सरकारी अधिकारियों से जुड़ा एक बयान दिया था जिस पर राजनीति गरमा गई थी। केंद्रीय मंत्री ने अपने अधिकारियों को समय पर काम करने हिदायत देते हुए कहा था कि अगर सरकारी काम समय पर पूरा नहीं होता है तो वह लोगों से कहेंगे कि कानून व्यवस्था हाथ में लेकर अधिकारियों की धुलाई कर दें।

इस तरह का बयान देकर भी वह शान से मूछों पर ताव देते हुए अपना मंत्रालय चला रहे हैं। सत्‍ता पक्ष को तो छोड़िए विपक्ष भी उन पर उंगली नहीं उठा पा रहा है। जाहिर है लोग नितिन गडकरी के भीतर छिपे फलसफाना व्‍यक्तिव की प्रंशसा कर रहे हैं। जो इस बात का परिचायक है कि आज भी जनता मूल्‍यों की राजनीति करने वाले नेताओं को पसंद करती है और यही कारण है कि भाजपा या मोदी गडकरी साहब को इग्‍नोर करना ही बेहतर समझते हैं।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)

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