न्यूज डेस्क
महाराष्ट्र में सत्ता का समीकरण उलझता दिख रहा है। विधानसभा चुनाव का नतीजा आने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी और शिवसेना में रस्साकशी शुरू हो गई है।
महाराष्ट्र में NDA गठबंधन सहयोगी शिवसेना के नई सरकार में बराबर की हिस्सेदारी मांगने से बीजेपी के लिये संतुलन साधना बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है। दोनों ही पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री पद के लिए दावा कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह दीवाली के बाद इस बारे में शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से बात करेंगे। दरअसल शिवसेना चाहती है कि सरकार की रूपरेखा को लेकर बातचीत पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच ही हो। इसके अलावा ठाकरे 50-50 के आधार पर सरकार का गठन चाहते हैं।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने कुल 160 सीटें जीती हैं। वहीं शिवसेना की इस मांग तो देखते हुए महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी भाजपा का काम बिगाड़ती हुई दिख रही हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस ने 25 अक्टूबर को संकेत दिया कि वह शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन दे सकती है। वहीं, इससे एक दिन पहले इसी प्रकार का प्रस्ताव राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल व कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद हुसैन दलवी द्वारा दिया गया था, ऐसा शिवसेना के सहयोगी व सत्तारूढ़ भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए आया है।
हालांकि महाराष्ट्र विधानसभा की 161 सीटें जीतने के साथ बीजेपी गठबंधन ने बहुमत के लिये जरूरी आंकड़ा आसानी से पार कर लिया है लेकिन इस बार भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना पर निर्भरता कुछ ज्यादा है, क्योंकि पिछली बार जहां भाजपा की 122 सीटें थी वहीं इस बार उसके खाते में सिर्फ 105 सीटें आई हैं। शिवसेना की सीटों का आंकड़ा भी पिछली बार के मुकाबले 63 से घटकर 56 हुआ है लेकिन राजग सरकार की स्थिरता के लिये उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है।
वहीं कांग्रेस की बात करें इसे 44 सीटें मिली हैं। शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को इस बार 54 सीटें मिली हैं, जो 2014 के मुकाबले 13 सीटें अधिक है। अगर भाजपा के साथ शिवसेना की बात नहीं बनती है और कांग्रेस-एनसीपी उसे समर्थन दे देती है तो सीटों का आंकड़ा 154 पहुंच जाता है। यह आंकड़ा बहुमत से 9 ज्यादा होगा। हालांकि, शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का एक साथ आना मुश्किल लगता है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने मीडिया से कहा, ‘हम से इस पर अब तक शिवसेना से कोई बातचीत नहीं हुई है। हालांकि, अगर ऐसा होता है तो हम इस मामले पर निर्णय के लिए पार्टी आलाकमान के समक्ष रखेंगे।’
वहीं शिवसेना के अध्यक्ष ठाकरे ने कहा, ‘हम कम सीटों (भाजपा के मुकाबले) पर लडऩे को सहमत हुए, लेकिन मैं हर बार भाजपा के लिये ऐसा नहीं कर सकता। मुझे अपनी पार्टी को भी आगे बढ़ाना है.’ अपनी वरिष्ठ सहयोगी पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि नतीजों की घोषणा से पहले जैसा भाजपा ने दावा किया था, वैसा कोई ‘महा जनादेश” नहीं है और नतीजे वास्तव में “सत्ता के अहंकार” में डूबे लोगों पर एक चोट हैं।
अब महाराष्ट्र में भाजपा का काम अपनी सहयोगी शिवसेना को मनाने का है। महाराष्ट्र में बीजेपी गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश करने से पहले चीजों को अंतिम रूप देने के लिये भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ बातचीत कर सकते हैं। भाजपा संसदीय बोर्ड ने गुरुवार को शाह को दोनों राज्यों में नई सरकार के गठन के लिये सभी जरूरी फैसले लेने के लिये अधिकृत किया था।
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