जुबिली स्पेशल डेस्क
काबुल । अफगानिस्तार में अब तालिबान का पूरा कब्जा हो चुका है। ऐसे में उसका नियंत्रण पूरे देश में हो गया और वहां पर अपनी सरकार बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। हालांकि पहले का तालिबान और अब के तालिबान में बड़ा अंतर दिख रहा है।
दरअसल तालिबान ने पिछली गलतियों से सबक लेते हुए ताकत के बल पर हुकूमत चलाने पर उसका विश्वास नहीं रहा है। इस वजह से तालिबान नेताओं ने वहां पर राजनीतिक मेल मिलाप पर भी शुरू कर दिया है।
कल हुई प्रेस वार्ता में भी तालिबान नेताओं ने यही संकेत दिया था और अब इसी क्रम में अफगानिस्तान में तालिबान के नेता अनस हक्कानी ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और देश के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहे अब्दुल्ला अब्दुल्ला से बुधवार को मुलाकात कर मेल मिलाप भी शुरू कर दिया है।
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कहा जा रहा है कि तालिबान को पता है कि अगर उसे सत्ता चलानी है तो सभी को साथ लेकर चलना होगा। देश में तमाम धार्मिक, जातीय गुटों को साथ लेकर चले बिना राह आसान नहीं होगी।
इस वजह से वहां के स्थानीय नेताओं से मिलकर अपनी राजनीतिक स्वीकार्यता बढ़ाने की कोशिश भी शुरू कर दी है। तालिबान की पूरी कोशिश है कि वो अफगानिस्तान में पख्तून के अलावा ताजिक, उज्बेक, शिया, हजारा समेत तमाम गुटों के साथ लेकर चलना चाहता है ताकि उसकी सरकार को कोई विरोध न झेलना पड़े।
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बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरा कब्जा हो चुका है और बहुत जल्द वहां पर अपनी सरकार बनाने की तैयारी में है। अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से अमेरिका सवालों के घेरे में है और पूरी दुनिया में उसकी कड़ी आलोचना हो रही है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को खुद का पाक साफ बता रहे हैं।