जुबिली न्यूज डेस्क
कभी-कभी साधारण उपलब्धि को भी खास नजर से देखना जरूरी हो जाता है, क्योंकि साधारण उपलब्धि को खास परिस्थिति बनाती है। अच्छे हालात में तो सभी अच्छा कर लेते हैं लेकिन हालात के विपरीत जाकर जो अच्छा करते हैं वहीं लोगों के आइडियल बनते हैं। ऐसा ही कुछ साफिया ने किया है जिससे सभी लड़कियों को प्रेरणा लेनी चाहिए।
साफिया की उपलब्धि आपको बहुत साधारण लगेगी, पर यह साधारण नहीं है। आपने बोर्ड का एग्जाम देते हुए बहुतों को देखा होगा लेकिन शायद ही कभी ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ परीक्षा देते हुए देखा हो। जी हां, उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के शाहबाद मोहल्ले में रहने वाली सफिया जावेद ने जो किया, वह न केवल सबको हैरान करने वाला है, बल्कि ऐसी मिसाल है, जो बहुत सारे वैसे बच्चों के लिए ताकत का काम कर सकती है जो किन्हीं वजहों से खुद को कमजोर महसूस करने लगते हैं।
किसी के लिए यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि जो बच्ची पिछले पांच साल से फेफड़े की गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो और उसे सांस लेने के लिए लगातार ऑक्सीजन सिलेंडर का सहारा लेना पड़ रहा हो, वह परीक्षा देने के बारे में सोचेगी और उसका परिवार उसे ऐसा करने देगा, लेकिन सफिया ने यह कर दिखाया।
सफिया ने राज्य बोर्ड की हाई स्कूल की परीक्षा दी थी, जिसके नतीजे अब आए और वह अच्छे अंकों से पास हो गई। वैसे सुनने में यह बहुत सामान्य सी खबर लगती है, लेकिन सफिया जावेद का मामला अलग और थोड़ा खास रहा।
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दरअसल, जिस समय हाई स्कूल की बोर्ड परीक्षाएं शुरू हुई थीं, तब फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझती सफिया के साथ हमेशा ही आक्सीजन का सिलेंडर साथ होता था, जिसके जरिए वह सांस ले पा रही थी। ऐसी स्थिति में शायद ही कोई परीक्षा देने की हिम्मत कर पाता, पर सफिया ने हार नहीं मानी। उसने उस हालत में भी परीक्षा देने की ठान ली। किसी तरह उसने संयुक्त शिक्षा निदेशक से ऑक्सीजन सिलेंडर साथ ले जाकर परीक्षा देने की इजाजत हासिल कर ली।
कुछ दिन पहले ही हाईस्कूल के नतीजे आए जिसमें उसने करीब सत्तर फीसदी अंक हासिल किए। इससे पता चलता है कि सफिया पढऩे की ललक के साथ भरपूर हौसले से किस हद तक भरी हुई है। सफिया का उदाहरण बहुत सारी वैसी लड़कियों के भीतर शायद हिम्मत का काम करे, जो कई तरह की बाधाओं का सामना करके स्कूली पढ़ाई कर रही होती हैं।
सफिया आज यह कर पाई है तो वह अपने हौसले की वजह से कर पाई। हर साल कितने ही छात्र ऐसे होते हैं तो स्वास्थ्य समस्याओं के कारण परीक्षा छोड़ देते हैं। देश में लाखों ऐसी लड़किया है जो विपरीत हालात की वजह से पढ़ाई नहीं कर पाती। वह हौसला नहीं कर पाती हैं हालात से लडऩे की।
ऐसे मामले अक्सर सुर्खियों में आते रहते हैं जिनमें सुविधाओं और संसाधनों के बीच पलने-पढऩे वाले बच्चे भी हौसले के अभाव में कई बार हिम्मत हार जाते हैं। दूसरी ओर, सफिया की तरह देश से ऐसे भी उदाहरण आते रहते हैं कि बेहद गरीबी का सामना करते परिवार में किसी लड़की ने महज अपने हौसले और प्रतिबद्धता की वजह से पढ़ाई पूरी की और समाज और तंत्र में अच्छी जगह बनाई।
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