जुबिली न्यूज़ ब्यूरो लखनऊ. नाट्य संस्था दर्पण के महासचिव, प्रख्यात रंगकर्मी और सुपरिचित वैज्ञानिक डॉ. अनिल रस्तोगी को मध्य प्रदेश सरकार ने प्रतिष्ठित कालिदास सम्मान देने की घोषणा की है. मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग ने साहित्य, संस्कृति, सिनेमा, सामजिक समरसता और सद्भाव जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के …
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डंके की चोट पर : चलो हम आज ये किस्सा अधूरा छोड़ देते हैं
शबाहत हुसैन विजेता तमाम उम्र हम एक दूसरे से लड़ते रहे, मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गए. सियासत मुंह भराई के हुनर से खूब वाकिफ है, ये हर कुत्ते के आगे शाही टुकड़ा डाल देती है. हजारों कुर्सियां इस मुल्क में लाशों पे रखी हैं, ये वो …
Read More »यूँ ही राह चलते चलते: अतीत के गुनगुने ख्वाब से रूबरू एक जीवंत दस्तावेज
कुमार भवेश चंद्र अपने अतीत की यादों से गुजरना अपने ही जीवन की दूसरी यात्रा की तरह ही होता है…इसमें सुख है.. दुख है…खुशियां हैं और संताप भी। लेकिन जो भी है बेगाना या अनजाना नहीं बल्कि अपना सा है। एक छोटी सी पुस्तिका के रूप में सावित्री सिनहा की …
Read More »मालविका हरिओम की ये 2 लाजवाब गज़ले
फिलहाल के दौर में तेजी से अपनी पहचान बना रहीं लखनऊ की शायरा मालविका हरिओम की गज़ल में जिंदगी की जद्दोजहद के साथ साथ मन की भावनाएं भी बखूबी झलकती हैं। जुबिली पोस्ट अपने पाठकों के लिए साहित्यकारों की इस नई पीढ़ी की रचनाएं लगातार प्रस्तुत करता रहा है। इसी …
Read More »किसानों के बहाने सत्ता की हकीकत बता रही है देवेन्द्र आर्य की गज़ल
देश में चल रहे किसान आंदोलन ने कवियों को भी छुआ है । गजलगो देवेन्द्र आर्य ने वर्तमान माहौल पर एक सचेत साहित्यकार की तरह हमेशा ही टिप्पणी की है । उनकी इन गज़लों में भी आप इसे महसूस कर सकते हैं। गोरखपुर में रहने वाले देवेन्द्र आर्य अपनी हिन्दी गज़लों …
Read More »“चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती” – देवेन्द्र आर्य की कविता
गोरखपुर में रहने वाले देवेन्द्र आर्य अपनी हिन्दी गज़लों के लिए पहचाने जाते हैं और सामान्य बोलचाल की भाषा में लिखी उनकी गजलें सहज ही मन में उतर जाती हैं। “चाय सिर्फ़ चाय ही नहीं होती” शीर्षक से कवि और गजलगो देवेन्द्र आर्य ने कविताओं की शृंखला लिख दी है …
Read More »मुझे अच्छी लगती हैं बिंदास लड़कियां
युवा कवियत्री डॉ. उपासना श्रीवास्तव यूं तो फैशन उद्योग से जुड़ी हैं ,लेकिन उनकी कविताओं में आम ज़िंदगी के रंग भरे हुए हैं , हिन्दी साहित्य में बी.ए. करने के बाद उन्होंने एम बी ए किया और फिर इंटरनेशनल मार्केटिंग में PHd की डिग्री हासिल की. फिलहाल नोएडा में वे …
Read More »आदमी अपने हर सही-ग़लत के पक्ष में दार्शनिक तर्क गढ़ लेता है : संजीव पालीवाल
ऐसा बहुत कम देखा गया है कि किसी राइटर की पहली ही रचना धूम मचा दे, इतनी चर्चा बटोरे कि यक़ीन करना मुश्किल हो कि राइटर ने इससे पहले, पढ़ा तो ख़ूब पर लिखने के नाम पर उसके ख़ाते में कुछ ख़ास दर्ज़ नहीं। वरिष्ठ टीवी पत्रकार संजीव पालीवाल की …
Read More »आकृति विज्ञा की भोजपुरी कविताएं
आकृति विज्ञा “दर्पण” ने छोटी सी उम्र में ही भोजपुरी साहित्य में अपनी पहचान बना ली है । उन्होंने हिंदी, भोजपुरी ,अंग्रेजी के राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर काव्यपाठ व मंचसंचालन किया है और विभिन्न समूहों से जुड़कर साहित्यिक नवाचारों पर सतत् अध्ययन व क्षेत्रीय कार्य में लगी हैं ।पूर्वाञ्चल …
Read More »कबीर के मगहर के मायने
डा. मनीष पांडेय मध्यकालीन दौर के विख्यात जनकवि और दार्शनिक महात्मा कबीर के नाम पर बनाये गए जिले संत कबीर नगर का मगहर क़स्बा कबीर का पर्याय होने के साथ कहीं न कहीं तथागत बुद्ध और महायोगी योगी गोरख के पदचिन्हों का भी गवाह है| ध्यान दिया जाए तो इसके …
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