डा. रवीन्द्र अरजरिया आधुनिकता के नाम पर परम्पराओं की धूमिल होती स्थिति को सुखद कदापि नहीं कहा जा सकता। सांस्कृतिक मूल्यों को समझे बिना उनका परित्याग करने की स्थिति निर्मित होती जा रही है। थोपी जा रही विकृतियों की मृगमारीचिका के पीछे दीवानगी की हद तक दौड जारी है। स्वास्थ्य …
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