एक जमाना था जब रत्ती लाल पिताजी सिर पर खोमचा लेकर गली-गली खस्ते बेचते थे। दादा जी के समय एक रुपये में 64 खस्ते मिला करते थे। मैंने अपने होश में पचास पैसे में एक खस्ता बेचा है। सबसे बड़े पुत्र रत्ती लाल ने ठेला लगाकर खस्ते बेचने शुरू किये। …
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