फिलहाल के दौर में तेजी से अपनी पहचान बना रहीं लखनऊ की शायरा मालविका हरिओम की गज़ल में जिंदगी की जद्दोजहद के साथ साथ मन की भावनाएं भी बखूबी झलकती हैं। जुबिली पोस्ट अपने पाठकों के लिए साहित्यकारों की इस नई पीढ़ी की रचनाएं लगातार प्रस्तुत करता रहा है। इसी …
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किसान आंदोलन ने तो कवियों और शायरों को भी जगा दिया है
शबाहत हुसैन विजेता पूस के महीने की ठंडी रातों में भी दिल्ली के चारों तरफ किसान आंदोलन की गर्मी सभी को महसूस हो रही है। दिल्ली जाने वाली हर सड़क पर किसानों का डेरा है। जब सत्ता इस आंदोलन को सियासी कुचक्रों में फँसाने के लिए पैंतरे चल रही है …
Read More »मालविका हरिओम की ताज़ा ग़ज़ल : ये कलियुग है यहाँ भूखा कभी रोटी नहीं पाता
आपदा काल में मालविका हरिओम लगातार मजबूरों के दर्द को गज़लों की शक्ल में सामने ला रही हैं । अपनी गज़लों के जरिए वे मानवीय संवेदना को झकझोर रही हैं। बतौर शायर मालविका ने इस वक्त के हालात पर काफी कुछ लिखा है । उनकी ये ताजा गजलें पढिए । …
Read More »त्रासदी की ग़जल : मालविका हरिओम की कलम से
संकट काल में संवेदनाएं झकझोरती है और कलमकार उसे अल्फ़ाज़ की शक्ल में परोस देता है । ये वक्त साहित्य रचता है और ऐसे वक्त के साहित्य को बचा कर रखना भी जरूरी है। जुबिली पोस्ट ऐसे रचनाकारों की रचनाएं आपको नियमित रूप से प्रस्तुत करता रहेगा । मालविका हरिओम …
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