अशोक कुमार यह सोचना आम है कि इस नए डिजिटल युग में प्रिंट की दुनिया खो गई है, लेकिन यह सच से परे नहीं हो सकता। हो सकता है कि छपाई ने सदियों पहले अपना बीज बोया हो, लेकिन व्यावसायिक मुद्रण उद्योगों की प्रगति के साथ, सफल विपणन के लिए …
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मीडिया क्यों शाबाशी और समर्थन की हकदार है ?
केपी सिंह कलयुग बोध पत्रकारिता में भी सालता है। इस बोध के चलते लगता है कि वर्तमान बहुत खराब जमाने के रूप में सामने है। अतीत में जो लोग पत्रकारिता में थे वे बहुत पवित्र आत्माएं थीं, आज सबकी सोच बहुत गंदी है। नेता की बात चले, पुलिस की बात …
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