Monday - 28 October 2024 - 11:41 PM

Tag Archives: डा. रवीन्द्र अरजरिया

संभावनाओं की आड़ में नकारात्मकता के दांव

डा. रवीन्द्र अरजरिया लोकसभा चुनावों में एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ है। इस गठबंधन के सभी सहयोगी दलों ने मिलकर नरेन्द्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुनकर प्रधानमंत्री पद का एक बार फिर दायित्व सौंपा है। देश में दूसरी बार कोई एक ही व्यक्ति तीसरे कार्यकाल में देश …

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दवा माफियों के इशारे पर कोरोना का भौंकाल

भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया कोरोना की दस्तक होते ही दुनिया में एक बार फिर भय का वातावरण निर्मित होने लगा है। चीन की चालाकियों से संसार भर में दहशत व्याप्त हो रही है। ऐलोपैथी की सत्ता को स्वीकार चुके देशों में अंग्रेजी दवाओं के माफियों की सरगर्मियां …

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मुफ्तखोरी और तुष्टीकरण के मुद्दों को उठाने से कतरा रहे हैं राजनैतिक दल

डा. रवीन्द्र अरजरिया ईडी की कार्यवाही के विरोध में विरोधी दलों ने मोर्चे खोलना शुरू कर दिये हैं। कांग्रेस के मुखिया गांधी परिवार से पूछतांछ होते ही पार्टी ने सडकों पर जंग छेड दी। देश-प्रदेश की राजधानी से लेकर दूर दराज के इलाकों तक में महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी और भ्रष्टाचार …

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शतरंजी चालों से राजनैतिक दलों ने बिगाड़ा है देश का माहौल

 डा. रवीन्द्र अरजरिया देश में दलगत राजनीति ने हमेशा से ही फूट डालो, राज करो की नीति अपनाई। दूरगामी योजनायें बनाकर शतरंज की चालें चलीं। जातिगत, आस्थागत और व्यवहारगत विभेदों को हमेशा ही हवा देकर टकराव की स्थितियां पैदा की। भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवानी ने सितम्बर सन …

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अधिकारों पर अतिक्रमण का तीव्र होता दंश

डा. रवीन्द्र अरजरिया देश में सम्प्रदायवाद का जहर तेजी से घुलता जा रहा है। मजहबी दूरियां निरंतर बढतीं जा रहीं हैं। स्वाधीनता के बाद से पर्दे के पीछे चलने वाला षडयंत्र अब खुलकर ठहाके लगाने लगा है। राजनीति से लेकर फिल्मों तक ने जानबूझकर हौले-हौले देश को मानसिक गुलामी के …

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लोकतंत्र को कठपुतली बनाने पर तुला भीडतंत्र

डा. रवीन्द्र अरजरिया स्वाधीनता के बाद देश को सुव्यवस्था देने की गरज से राजशाही के स्थान पर लोकशाही की स्थापना की गई। तात्कालिक परिस्थितियों में संविधान की रचना हुई। यह अलग बात है कि संविधान की रचना के दौरान किन लोगों को हाशिये पर रखने का षडयंत्र हुआ और कौन …

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आत्म शोधन और शक्ति संचय का महापर्व है नवरात्रि

डा. रवीन्द्र अरजरिया पराविज्ञान की मान्यताओं का परचम आज भी फहरा रहा है। ज्योतिषीय गणनायें ही अंतरिक्ष विज्ञान की आधार मानी जाने लगी हैं। खगोल शास्त्र तो कब से वैदिक ज्ञान को सर्वोपरि मान बैठा है परन्तु तर्क, वितर्क और कुतर्क के मायाजाल में फंसे लोगों का एक अलग ही …

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अतीत को स्वीकारे बिना मिथ्या है सुखद भविष्य की कल्पना

डा. रवीन्द्र अरजरिया बीती स्मृतियों के सुखद स्पन्दन के साथ मानवीय भावनायें आनन्द के हिंडोले पर उडान भरतीं है। अतीत की दस्तक वर्तमान के दरवाजे पर हौले से होती है जिसे अन्तःकरण की अनुभूतियों से ही अनुभव किया जा सकता है। सफल जीवन के सूत्रों को उदघाटित करने वाली पुस्तक …

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दुर्भाग्यपूर्ण है धार्मिक कथानकों को चुनावी संग्राम में रेखांकित करना

डा. रवीन्द्र अरजरिया  चुनावी महासंग्राम में मर्यादाओं को तिलांजलि देने की होड लग गई है। कहीं अपशब्दों का प्रयोग तो कहीं मनमाना आचरण किया जा रहा है। अनेक दलों की षडयंत्रकारी योजनाओं का व्यवहारिकस्वरूप सामने आने लगा है। निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों को दर-किनार करके न केवल शब्द बाणों के …

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