प्रदीप सुविज्ञ कभी मैं ‘कार्टूनिस्ट ‘ हुआ करता था। रोज़ सुबह मेरे बनाये कार्टून अख़बार के प्रथम पेज पर तीन कालम में छप जाया करते थे । सिर्फ़ एक ‘ फ्रेम ‘ में सिमटे हुए मेरे कार्टून के पात्रों को घुटन महसूस होने लगी थी लिहाज़ा मैं ‘ 24 फ्रेम …
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