प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव ‘पिताजी जब पाकिस्तान से सब कुछ छोड़कर शरणार्थी बनकर लखनऊ आये थे तो उनकी उम्र सिर्फ आठ साल थी। दो बड़े भाई और बहनें भी साथ में आयी थीं। सरवाइवल की जंग थी। छोटे मोटे काम धंधे करके किसी तरह गुजर बसर हो रही थी। चार साल के …
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