ओम प्रकाश सिंह अयोध्या। एक समय था कि बच्चों को सुलाने के लिए मांएं लोरियां सुनाती थीं। किताबें वयस्कों के सिरहाने होती थीं। चंपक, चाचा चौधरी, नंदन जैसी पुस्तकों को पढ़ने का मोह बुजुर्ग भी नहीं छोड़ पाते थे। बदलते दौर में पुस्तकें भले ही डिजिटल, आडियो हो गईं हों …
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