देवेन्द्र आर्य गांधी इस देश में सबसे मुलायम लक्ष्य हैं (सॉफ्ट टारगेट)। इतिहास की बात जाने दें तो अभी हाल में गांधी के तीन नए आलोचक उभरे हैं – एक पूर्वन्यायाधीश, एक भगवा साध्वी और एक लेखिका। काटजू साहब ने फिलहाल अपनी कोई वैचारिकी घोषित नहीं की है। परन्तु साध्वी …
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कसौटी पर है संघ का योगदान
केपी सिंह कोरोना को लेकर देश के नाम अपने संबोधनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से कहा है कि दुनियां अब पहले जैसी नही रह गई है। जिसके मददेनजर हमें अपनी जीवन शैली बदलनी पड़ेगी। सादगी और आत्मनिर्भरता का अवलंबन करना होगा जिससे उनका आशय था कि उपभोक्तावाद का …
Read More »जन्मदिन विशेष : आपदा मे कार्ल मार्क्स की याद
रिपु सूदन सिंह वैश्विक आपदा मे कार्ल मार्क्स को याद करना दुस्साहसिक और चुनौतीपूर्ण कार्य है। आज संकट का एक ऐसा दौर है कि बरबस ही हम अपने पूर्वजों यथा वाल्मीकि, व्यास, चार्वाक, आलर कालाम, पतंजलि, बुद्ध, कन्फ़्यूशियस, लाओत्सी, कौटिल्य, प्लेटो, शंकर, कबीर, गुरुनानक, बुल्ले शाह, हेगल, टोलोस्टोय, विवेकानन्द, गांधी, …
Read More »आखिर मुस्लिम क्यों कहते हैं वंदे मातरम को गैर इस्लामी
प्रीति सिंह वंदे मातरम गीत पर हर बार का विवाद इस बहस को ताजा कर देता है कि देश के मुसलमान इस देशभक्ति के गाने को गाना नहीं चाहते हैं और इसलिए उनकी देशभक्ति संदिग्ध है। इस सच्चाई को नहीं झुठलाया जा सकता कि अनगिनत शहीद, जिनमें भगत सिंह, सुखदेव, …
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