भंडारा नहीं तो क्या हुआ, बड़े मंगल पर ग़रीबों का पेट भर रहे ज़ुबैर और वहीद नवेद शिकोह मंस्जिद-मंदिर और गुरुद्वारे सूने है। रोजा इफ्तार पार्टियां और बड़े मंगल के भंडारे नहीं लगे। इससे धर्म खतरे में नहीं पड़ा है बल्कि अपने-अपने धर्म पर आस्था रखने वाले धर्म को प्रयोगात्मक …
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