डॉ. श्रीश पाठक आँख सचमुच देख नहीं पाती। सब सामने ही तो होता है। दूसरे करते हैं, हम करते हैं, लेकिन जो हम करते हैं, देख कहाँ पाते हैं। ऐसा शायद ही कोई हो, जिसका दावा यह हो कि उसने किसी पति को किसी पत्नी को एक बार भी मारते …
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