देश में वर्चस्व की जंग नये रूप में सामने आ रही है। आस्था के नितांत व्यक्तिगत कारक को दूसरों पर थोपने का प्रयास तेजी से चल निकला है। वास्तविक धर्म कहीं खो सा गया है। महापुरुषों के व्दारा कहे गये शब्दों की मनमानी व्याख्यायें सामने आकर उत्तेजना फैलाने का काम …
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