रूबी सरकार मध्यप्रदेश में सबसे पिछड़ा आदिवासी बाहुल्य जिला श्योपुर राजनीतिक रूप से सबसे अहम जिलों में से एक है। इस जिले का कराहल विकास खण्ड 5वीं अनुसूचि में शामिल है। इसी विकास खण्ड का एक गांव बनार, यहां की आबादी लगभग ढाई हजार, इनमें से आधे से अधिक आबादी …
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अटल जी के जन्मदिन पर शुरू हुई योजना, मोदी सरकार की वजह से अटकी
रूबी सरकार समुदायिक भागीदारी पर जोर देने वाली अटल भूजल योजना की घोषणा पिछले साल 25 दिसम्बर,2019 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की। बुंदेलखण्ड में सूखे की मार झेल रहे समुदायों को उम्मीद थी, कि अब जल्द ही उन्हें …
Read More »घोर विपरीत परिस्थितियों में आजीविका के प्रयास
रूबी सरकार श्योपुर जिला का गंभीर कुपोषण वाला कराहल विकास खण्ड के सिलपुरी गांव की कुछ महिलाएं भरी दोपहरी में खेतों में बैठकर खरपतवार निकाल रही थी। इन्हीं में से एक महिला किरण ने इस संवाददाता को बताया, कि बोआई के बाद देखभाल करने के लिए वह हर रोज आती …
Read More »भोपाल में जनाधार टटोलने तो नहीं पहुंचे संघ प्रमुख!
रूबी सरकार रामजन्मभूमि पूजन के तुरंत बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत का भोपाल आना राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय है। सूत्रों के अनुसार ऐसे वक्त संघ प्रमुख स्वयंसेवकों से व्यक्तिगत बातचीत कर रहे हैं। जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और संगठन महामंत्री …
Read More »तालाब पुर्नरूद्धार से जल गांव में तबदील हुआ अगरौठा
रूबी सरकार छतरपुर जनपद के बड़ामलहरा ब्लॉक में अगरौठा गांव जल संकटग्रस्त गांव के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2010 में बुन्देलखण्ड पैकेज के माध्यम से 1 करोड की लागत से अगरौठा गांव में तालाब/ बंध का निर्माण किया गया है। जिससे सिंचाई के लिए एक नहर निकाली गई। …
Read More »‘राइट टू हेल्थ’ पर मध्यप्रदेश का क्या होगा स्टैण्ड
मध्य प्रदेश ब्यूरो नीति आयोग ने देश में योग्य चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए एक सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल प्रस्तुत किया है, जिसके अंतर्गत पीपीपी के माध्यम से कार्यात्मक जिला अस्पतालों के साथ नए या मौजूदा निजी मेडिकल कॉलेजों को संचालित किये जायेंगे। नीति आयोग ने …
Read More »करोड़ों खर्च फिर भी क्षिप्रा मैली
रूबी सरकार मध्यप्रदेश की क्षिप्रा की अविरलता एवं निर्मलता को लेकर अब तक करोड़ों रूपये खर्च किये गये, लेकिन नदी अविरल नहीं हुई, जिसका मुख्य कारण सरकार की मंशा और समाज की भागेदारी का अभाव है। 21वी सदी में जल संकट के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए जल साक्षरता …
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