Tuesday - 5 November 2024 - 4:27 AM

Tag Archives: hindi poetry

सफ़र में फंसा हुआ घर जाने को बेकरार हूँ

डॉ. अभिनन्दन सिंह मैं अपने मालिकों की संवेदना का टूटा हुआ तार हूँ। मैं शहर और सरकारों के सपनों का शिल्पकार हूँ।। मैं सफ़र में फंसा हुआ घर जाने को बेकरार हूँ। मैं भी बचाना चाहता हूँ अपने बच्चों का लाचार जीवन। हाँ, साहब मैं ही मजदूर हूँ और गाँव …

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