शबाहत हुसैन विजेता नफ़रत नफ़रत और सिर्फ़ नफ़रत। कभी देश के नाम पर, कभी भाषा के नाम पर और कभी धर्म के नाम पर। नफ़रत के सामने इंसानियत के मायने खत्म हो जाते हैं। नफ़रत के सामने आपसी रिश्ते दम तोड़ने लगते हैं। जब पहनावे से पहचान होने लगती है। …
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माहौल बिगाड़ने में सोशल मीडिया आग में घी की तरह
राजीव ओझा अपना देश और समाज इस समय कई मोर्चे पर जूझ रहा। एक बाहरी खतरा है दूसरा देश के भीतर। देश की सीमा पर दुश्मनों से निपटना आसान है लेकिन देश के भीतर के खतरों से निपटाना सबसे बड़ी चुनौती हैं। समाज में घुलमिल कर वार करने वाले अमन …
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