दूर बसे प्रियतम को लिखता कौन पत्र अश्रु के क्षण। बात हृदय की प्रकट किया है, आसव का जल तनिक पिया है, स्मृतियों की उम्र ढल गई, बुझती बाती मुखर दिया है। पीड़ा को उन्मादित करता कौन अत्र अश्रु के क्षण। उसने मुझे बुलाया है कल जाऊंगा मै कल के …
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रूप तुम्हारा ऐसा जैसा सूरजमुखी का फूल…!
रूप तुम्हारा ऐसा जैसा सूरजमुखी का फूल। मुझे देख मुसकाये लेकिन पल मे जाये भूल। एक पलक के बदले तुमने मुझे दिया उपहार, पाते पाते खो भी डाला क्षणिक तुम्हारा प्यार। विकल मीन सा अब तडपूं विरह बन गया शूल। दीप जलाते पवन जल गया मुसकाया अंधियार, कहां तिमिर मे …
Read More »नारी शब्द सुनते ही दो पहलु नज़र आते हैं एक सिमटी चूल्हे में दूसरी चाँद तक…
नारी शब्द सुनते ही दो पहलु नज़र आते हैं एक सिमटी चूल्हे में दूसरी चाँद तक जाती है चाँद तक पहुँच गए हैं फिर भी अस्तित्व गुम है कंधे से कन्धा मिलाया है फिर भी व्यक्तित्व गुम है हँसे, खिलखिलाए तो समाज बंदिशों में बांधे खुली फिजा है वो, पर …
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