केपी सिंह कहा कहौं छवि आज की, भले बने हो नाथ। तुलसी मस्तक तब नवै, जब धनुष बान लो हाथ।। गुसाई चरित में एक प्रसंग वर्णित है हालांकि उसका कोई ऐतिहासिक आधार नही है। लेकिन यह प्रसंग आज प्रासंगिक हो गया है। प्रसंग के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास संत नंददास से …
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