शबाहत हुसैन विजेता टीपू सुल्तान की तलवार का लोहा ब्रिटिशर्स भी मानते थे। मैसूर पर जब तक टीपू का परचम फहराता रहा तब तक ईस्ट इंडिया कम्पनी की कर्नाटक में इंट्री नहीं हो पाई। वह शेर-ए-मैसूर कहलाता था। उसकी सेना में मज़हब नहीं बहादुरी देखकर भर्ती होती थी, इसी वजह …
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