केपी सिंह कलयुग बोध पत्रकारिता में भी सालता है। इस बोध के चलते लगता है कि वर्तमान बहुत खराब जमाने के रूप में सामने है। अतीत में जो लोग पत्रकारिता में थे वे बहुत पवित्र आत्माएं थीं, आज सबकी सोच बहुत गंदी है। नेता की बात चले, पुलिस की बात …
Read More »Tag Archives: contribution
राष्ट्र की प्रगति और हिन्दी भाषा
अशोक कुमार श्रीवास्तव किसी भी राष्ट्र के विकास, प्रशासन एवं जन समस्याओं के सशक्त निराकरण हेतु उस राष्ट्र की बोली जाने वाली भाषा जब एक होती है तब की स्थिति में राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संभव हो पाता है एवं राष्ट्र का जनमानस खुशहाल रहता है। भारत वर्ष प्राचीन काल …
Read More »