डॉ श्रीश पाठक हमारी देह में भीतर-बाहर अरबों जीव पल रहे। वे हमारे अस्तित्व से अनभिज्ञ होंगे या सम्भवतः उन्हें एहसास भी हो। हमारी यह देह उनके लिए किसी ब्रह्माण्ड से कम नहीं। यह पूरा ब्रह्माण्ड इतना अधिक विशाल है कि यह हमारे कल्पना के अनंत से भी कई गुना …
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